वैश्विक कोरोना आपदा से सबसे अधिक प्रभावित ग़रीब और लाचार ही रहे हैं, लेकिन जब ऐसी लाचारी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री के परिवार के साथ आ गई है।
कोरोना महामारी के बीच इस बार बिहार का चुनाव डिजिटल होगा। बीजेपी डिजिटल चुनाव की तैयारियों में सबसे आगे है लेकिन विपक्ष का कहना है कि वह कोरोना संकट में भी राजनीति कर रही है।
ट्रेन से लौटे एक प्रवासी मज़दूर की स्टेशन पर मौत की एक तसवीर दिल दहला देने वाली है। मुश्किल से 2-3 साल का बच्चा अपनी मृत पड़ी माँ को उठाने की कोशिश कर रहा है। उसे यह अहसास भी नहीं है कि उसकी माँ अब जिंदा नहीं है।
अब तक कम कोरोना मामले वाले बिहार में संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों में से 26 प्रतिशत में संक्रमण पाया जा रहा है।
प्रवासी मजदूरों के राज्य में आने से लेकर क्वारेंटीन सेंटर्स में उनके रहने के इंतजाम को लेकर नीतीश सवालों के घेरे में हैं। चुनाव से पहले यह नीतीश के लिए ख़तरे की घंटी है।
लॉकडाउन और काम-धंधों के बंद होने से अन्य प्रदेशों से लौटकर आने वाले प्रवासी श्रमिकों और छात्रों के क्वॉरंटीन की समुचित व्यवस्था करना और उनका कोरोना जाँच करवाना भी बिहार के लिए एक बड़ी समस्या है।
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में तीन महिलाओं के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं। डायन बताकर बंधक बनाया गया। पीटा गया। अर्द्धनग्न किया गया। मुंडन कर दिया गया। पेशाब पिलाया गया और कथित तौर पर मैला भी खिलाया गया।