नीतीश कुमार कभी भी किसी के लिए ग़लत भाषा का इस्तेमाल करते नहीं देखे गए हैं। उन्हें शांत, सोच-समझ कर बोलने वाला राजनीतिज्ञ माना जाता है। लेकिन बीते कुछ दिनों में वह कई बार आपा खो चुके हैं।
बिहार के 16 ज़िलों की 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होगा। इसके लिए 31 हज़ार मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसके लिए 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं, 2,14,6,960 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रचार की गहमागहमी और घात-प्रतिघात के बीच सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि तीन साल पहले लालू प्रसाद यादव ने उनको (मोदी को) को मरवाने के लिए तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था।
एलजेपी नेता चिराग पासवान ने अब नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ बड़ा आरोप लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि उनकी पार्टी सरकार में आती है तो 'भ्रष्टाचार' मामले में नीतीश कुमार को जेल होगी।
तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ और चिराग के पैने सियासी तीरों से घायल नीतीश कुमार इस सर्वे के सामने आने के बाद और बीजेपी के एक ताज़ा क़दम से शायद और परेशान हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में अपनी पहली चुनावी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने कहा कि केन्द्र में यूपीए सरकार के रहते नीतीश कुमार को काम नहीं करने दिया जाता था। बकौल मोदी- नीतीश जी के दस साल बर्बाद कर दिये।
बिहार चुनाव में पहली बार मत डालने वाले लोगों की संख्या में पिछले चुनाव की तुलना में 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा की कमी आई है। यह कमी क्या दिखाता है? क्या राजनीतिक दलों पर इसका असर पड़ेगा?
चुप और गंभीर रहने वाले, नपा-तुला और बेहद ज़िम्मेदारी से बोलने वाले और राजनीतिक विरोधियों पर भी संतुलित टिप्पणी करने वाले नीतीश कुमार को क्या हो गया है? वह क्यों बार-बार आपा खो रहे हैं?
एबीपी न्यूज़-सी वोटर का दावा है कि यह सर्वे बिहार की सभी 243 सीटों पर किया गया और इस दौरान 30 हजार 678 लोगों से बात की गई। सर्वे 1 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर के बीच किया गया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें या न चाहें, पर विधानसभा चुनाव में बेरोज़गारी एक मुद्दा बन ही गया है। राष्ट्रीय जनता दल ने शनिवार को जारी घोषणा पत्र में औपचारिक रूप से यह कहा गया है कि उसकी सरकार बनी तो 10 लाख लोगों को रोज़गार दिया जाएगा।
बिहार में 15 से 29 साल की उम्र के लगभग 27.6 प्रतिशत लोग ही किसी तरह के रोज़गार में है। बिहार को सोचना है कि उसका विधानसभा अनुच्छेद 370 पर काम करेगा या रोज़गार पर।