सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं, इस पर अटकलें लगाई ही जा रही थीं कि तारकिशोर प्रसाद को विधानमंडल दल का नेता चुन कर बीजेपी ने राज्य में बड़े हेरफेर के संकेत दिए हैं।
बिहार की राजधानी पटना में चल रही बैठक में नीतीश कुमार को जनता दल यूनाइटेड के विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। इसके साथ ही नीतीश कुमार के एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है।
आलोचकों के अलावा ख़ुद कांग्रेस ने भी यह माना है कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन सत्ता की दौड़ में पिछड़ गया और एनडीए को सत्ता में आने का मौक़ा मिल गया।
सरकार गठन की रणनीति में जुटे बिहार एनडीए के घटक दलों के प्रमुख नेताओं की शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर बैठक हुई। इस मामले में रविवार को बैठक होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि बीजेपी तीन बार से सत्ता में रहने के बावजूद ज़्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही। यह कितना सच है?
बिहार विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद चौथी बार मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलों के बीच नीतीश कुमार ने कहा है कि उन्होंने इस पद के लिए कोई दावा नहीं किया है। उन्होंने साफ़ किया है कि इस पर एनडीए फ़ैसला लेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में जीत का जश्न बीजेपी ने क़रीब-क़रीब उसी अंदाज में मनाया जिस तरह से लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी सरकार को मिली दूसरी सफलता के समय मनाया गया था।
ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश को ही बिहार में एनडीए का चेहरा बताया है। लेकिन नीतीश की इस कुर्सी पर फिर से न बैठने की इच्छा व्यक्त करने का क्या सियासी मतलब है।
ऐसे समय जब पूरी दुनिया में वामपंथ का मर्सिया पढ़ दिया गया है, भारत में दक्षिणपंथी और विभाजनकारी ताक़तें हावी हैं और बीजेपी व नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, इसके उलट वामपंथी दलों ने बिहार में ज़बरदस्त चुनावी नतीजे लाकर सबको हैरत में डाल दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनता दल ने 144 सीटों पर लड़कर सर्वाधिक 23.1 प्रतिशत मत प्राप्त किये और इसे सर्वाधिक 75 सीटें मिली हैं। दूसरी ओर महज एक सीट पीछे रही बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 19.5 प्रतिशत वोट के साथ 74 सीटें जीती हैं।
एनडीए व महागठबंधन के बीच काँटे की टक्कर है, स्थिति पेचीदिगियों से भरी हुई है। इस बीच यह भी ख़बर मिल रही है कि 123 ऐसी सीटें हैं, जहां एनडीए-महागठबंधन के बीच 3,000 से भी कम वोटों का अंतर है।