क्या बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव सुपर सीएम के रोल में आ गये हैं और नीतीश कुमार को लगभग हर फ़ैसले के लिए उनकी ‘हां’ या हरी झंडी का इंतजार करना पड़ रहा है।
यदि केंद्र सरकार के दावे और ज़िद के अनुसार कृषि क़ानून वाकई किसानों के हित में हैं और कृषि उत्पाद विपणन समिति क़ानून को ख़त्म करने से उन्हें बड़ा बाज़ार मिलेगा और ऊँची कीमतें मिलेंगी तो बिहार के किसान बदहाल क्यों हैं?
अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगता है कि अपराधियों में कानून का भय और रात्रि गश्ती बढ़ाने की ज़रूरत है तो यह सोलहवें साल में पहुंचे उनके शासन काल पर एक गंभीर सवाल है।
ललन पासवान ने गुरूवार को पटना में एफ़आईआर दर्ज करा दी है। साथ ही लालू प्रसाद यादव को रिम्स निदेशक के बंगले से वापस रिम्स अस्पताल में शिफ़्ट कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' का नारा देने वाली बीजेपी और 'सुशासन बाबू' का तमगा पाने वाले जेडीयू के नीतीश कुमार की बिहार सरकार के शपथ ग्रहण करते हुए विवाद शुरू हो गया और भष्ट्राचार का आरोप लग गया।