बीजेपी की मदद से सरकार चलाने के वावजूद नीतीश इफ़्तार पार्टी कर सकते हैं और लालू परिवार को उसमें आमंत्रित कर सकते हैं। इसका क्या मतलब है और बीजेपी के लिए क्या संदेश है?
इफ्तार पार्टियों में नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात के बाद ऐसी चर्चा बिहार की सियासत में हो रही है कि क्या नीतीश फिर से आरजेडी के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं।
नीतीश कुमार के आरजेडी की इफ़्तार पार्टी में पहुंचने को क्या सिर्फ राजनीतिक शिष्टाचार माना जाना चाहिए या बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक बार फिर करवट बदलने की तैयारी कर रहे हैं।
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सहयोगी दल हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है। क्या बीजेपी इसे नज़रअंदाज़ करेगी?
तीन दशकों की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है जब आरजेडी को भूमिहारों का समर्थन मिला है। लालू प्रसाद से अलग तेजस्वी यादव बिहार में एक नया राजनीतिक समीकरण (भूमिहार, यादव और मुसलमान) बनाने में सफल होते दिख रहे हैं।