बिहार में लंबे समय तक भाजपा के साथ रहते हुए जदयू का हमेशा इस बात पर जोर रहता था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए का चेहरा घोषित किया जाए। ऐसा लगता है कि जदयू यही काम अब राष्ट्रीय स्तर पर करने की तैयारी में जुट गया है।
जब नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के दूसरे नेता भी बिहार दौरे पर यह बात जरूर दोहराते थे कि बिहार में नीतीश ही एनडीए का चेहरा हैं। भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश खुद और जदयू के नेता अपनी तरफ से सिर्फ इतना कह रहे हैं कि वे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश करेंगे।
नीतीश को सीधे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताये जाने से जदयू आधिकारिक रूप से परहेज कर रहा है लेकिन उनकी पार्टी की ओर से उन्हें विपक्षी एकता का चेहरा बनाने की रणनीति जरूर बनायी जा रही है।
इसी रणनीति के तहत गुरुवार को जदयू के पटना स्थित पार्टी कार्यालय में लगाये गये नये पोस्टर्स जबरदस्त चर्चा में हैं। इसमें पहला नारा है, ‘प्रदेश में दिखा, देश में दिखेगा’। इस नारे को चेहरा बनाने की रणनीति बनाने के तहत गढ़ा गया है, ऐसा माना जा रहा है।
इन पोस्टरों का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि तीन और चार सितंबर को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में ही होगी। यह भी सूचना है कि इसके बाद नीतीश कुमार दूसरे राज्यों के दौरे पर निकलेंगे। इस बारे में जदयू के वरिष्ठ नेता दूसरे राज्यों के विपक्षी नेताओं से विचार-विमर्श कर रहे हैं। इन पोस्टरों में मिशन 2024 के लिए नीतीश कुमार को प्रोजेक्ट करने का अंदाज झलकता है।
पोस्टर्स के अन्य नारों में है, ‘आश्वासन नहीं, सुशासन’, ‘मन की नहीं, काम की’ और ‘जुमला नहीं, हकीकत’।
सुशासन का दावा, नीतीश कुमार का पुराना दावा है जिसे भाजपा के नेता भी मानते रहे हैं और चुनाव प्रचार में जंगल राज की जगह सुशासन लाने की बात भी होती रही है।
ऐसा माना जा रहा है कि इन नारों में मन और जुमला वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाकर लिखा गया है क्योंकि ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रधानमंत्री करते हैं और जुमला के लिए भी उन पर ही तंज किया जाता है। इन सबके साथ एक और नारा है, ‘आगाज हुआ, बदलाव होगा’। यह आगाज केसीआर के साथ बैठक को बताया जा रहा है।
यह नारा चूंकि बदलाव की बात कह रहा है इसलएि एक तरह से यह नीतीश कुमार को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में प्रोजेक्ट करने की महत्वपूर्ण कोशिश माना जा रहा है।
ये पोस्टर्स तब सामने आये हैं जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पटना में आकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद से मिलकर ‘भाजपा मुक्त भारत’ का नारा दोहरा कर वापस गए हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को एक उत्तम नेता बताया हालांकि पत्रकारों के बार-बार पूछने पर भी उन्होंने यह नहीं कहा कि प्रधानामंत्री मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा कौन होगा और क्या नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के साझा उम्मीदवार होंगे। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि समय आने पर इसके बारे में निर्णय लिया जाएगा।
इस बारे में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि जदयू का स्टैंड यह है कि नीतीश कुमार पूरे देश के विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, ‘नीतीश प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं।’
आधिकारिक स्टैंड अपनी जगह सही है लेकिन जदयू के नेता बार-बार यह भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के अंदर प्रधानमंत्री बनने की सभी योग्यताएं हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेते हुए यह भी कहा जाता है कि जब गुजरात के सीएम प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो बिहार के सीएम क्यों नहीं।
नीतीश में प्रधानमंत्री बनने की योग्यता वाली बात तो अब राजद के नेता भी कह रहे हैं। खुद उपमुख्यमंत्री तेेजस्वी यादव भी कह चुके हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के लिए मजबूत दावेदारों में शामिल हैं। यह बात भी स्पष्ट है कि नीतीश कुमार के राष्ट्रीय राजनीति में जाने का सबसे अधिक लाभ तेजस्वी यादव खुद के लिए मान रहे हैं क्योंकि तब बिहार के मुख्यमंत्री पद पर उनका दावा मजबूत हो जाएगा।
दौरे पर निकलेंगे नीतीश
नीतीश कुमार के दूसरे राज्यों के संभावित दौरे को कई लिहाज से खास माना जा रहा है। जिस तरह जदयू के नेता उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को निशाना बना रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार जल्द ही उत्तर प्रदेश के सीमाई इलाकों में अपना दौरा शुरू कर सकते हैं। उनके यात्रा कार्यक्रम में हिन्दी पट्टी के सभी राज्य शामिल हो सकते हैं लेकिन इनमें अभी दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा प्रमुख माने जा रहे हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि जदयू के नेताओं की बातचीत शरद पवार से चल रही है और नीतीश कुमार महाराष्ट्र का भी दौरा करेंगे जहां उनकी मुलाकात उद्धव ठाकरे से हो सकती है।
इसके अलावा उत्तर पूर्व में भी जदयू की उपस्थिति अच्छी है और वे वहां भी जाने का कार्यक्रम बना सकते हैं। इसी दौरान उनके दक्षिण के राज्यों में भी जाने की चर्चा है। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की घोषणा पर जल्द ही काम शुरू करेंगे। इसके बारे में शनिवार-रविवार को होने वाली जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी एलान हो सकता है।
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