loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
51
एनडीए
29
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
222
एमवीए
54
अन्य
12

चुनाव में दिग्गज

कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय

पीछे

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

आगे

कोई इतिहास कैसे बदल सकता है- नीतीश; हमें कौन रोकेगा: शाह

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि उन्हें समझ नहीं आता कि कोई इतिहास कैसे बदल सकता है। उनका यह बयान गृह मंत्री अमित शाह के इतिहास को लेकर बयान पर आया है। पत्रकारों ने नीतीश कुमार से अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी थी और इसी पर बिहार के सीएम ने जवाब दिया।

पत्रकारों से सवाल-जवाब का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी साझा किया गया है। उसमें नीतीश कुमार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सुना जा सकता है। नीतीश कुमार कहते हैं, 'क्या इतिहास बदल दीजिएगा? हमको तो समझ नहीं आता कि कोई इतिहास बदल जाएगा। जो इतिहास है वह इतिहास है। हमको तो समझ नहीं आता है कि कोई इतिहास कैसे बदलेगा? हमको तो नहीं लगता है कि कोई इतिहास बदल सकता है।'

ताज़ा ख़बरें

नीतीश एक अन्य सवाल के जवाब में कहते हैं, 'भाषा लिखने की बात होगी वह अलग बात है, लेकिन मौलिक इतिहास है उसको कोई थोड़े बदल सकता है...।'

नीतीश कुमार ने यह टिप्पणी तब की जब उनसे कहा गया कि वह गृह मंत्री अमित शाह की इतिहास को लेकर की गई टिप्पणी पर बोलें। देश के गृह मंत्री ने तीन दिन पहले ही एक कार्यक्रम में सीधे चुनौती देने के लहजे में कहा था कि 'हमें इतिहास लिखने से कौन रोकेगा'। 

अमित शाह ने कहा था, 'यह एक तथ्य है कि कुछ लोगों ने इतिहास को विकृत कर दिया है। उन्होंने जो कुछ भी चाहा, उन्होंने लिखा है। तो हमें कौन रोक सकता है? हमें कोई नहीं रोक सकता। इतिहास सरकारों द्वारा नहीं रचा जाता है, बल्कि यह सच्ची घटनाओं पर रचा जाता है।' 

उन्होंने कहा था,

हमें टीका टिप्पणी छोड़ कर अपने गौरवशाली इतिहास को जनता के सामने रखना चाहिए, जब हमारा प्रयास बड़ा होगा तो झूठ का प्रयास खुद ही छोटा हो जायेगा। इसलिए हमें हमारा प्रयास बड़ा करने में अधिक ध्यान देना चाहिए।


अमित शाह, गृह मंत्री

बता दें कि आरएसएस और बीजेपी दोनों आरोप लगाते रहे हैं कि इतिहास की किताबें वामपंथी इतिहासकारों द्वारा रची गईं और जिन्होंने हिंदू राजाओं और राज्यों के योगदान को नज़रअंदाज़ किया था। अमित शाह लेखकों और फिल्म निर्माताओं से 'इतिहास का सच सामने लाने' पर काम करने का आग्रह करते रहे हैं। 

उन्होंने लेखकों से पांड्य, अहोम, चालुक्य, मौर्य, गुप्त आदि राजवंशों पर किताबें लिखने का आग्रह करते हुए कहा था कि इतिहास लिखने वालों ने इन राजवंशों की अनदेखी की। उन्होंने कहा, 'कोई संदर्भ पुस्तकें भी नहीं हैं। मैं कहना चाहता हूँ, इस पर टिप्पणी करना छोड़ कर, लोगों के सामने वास्तविक इतिहास को सामने लाने के लिए उन पर लिखना चाहिए। धीरे-धीरे जिस इतिहास को हम झूठा समझते हैं वह अपने आप मिट जाएगा।'

बिहार से और ख़बरें

गृह मंत्री ने कहा था कि हालाँकि सरकार ने "वास्तविक इतिहास" के दस्तावेजीकरण की पहल शुरू कर दी है, लेकिन यह अभ्यास तभी सफल होगा जब समाज इसे एक मिशन के रूप में लेगा। उन्होंने कहा, 'अगर वीर सावरकर नहीं होते तो मैं आपको बता दूँ कि 1857 का सच सामने नहीं आता।'

शाह ने कहा था, '... क्रांतियाँ जो उस समय पराजित हो गई होंगी, उनमें समाज और लोगों को जगाने की क्षमता थी। पद्मावती के बलिदान ने महिलाओं और पुरुषों को अपना सिर ऊंचा रखकर जीवन जीने की ऊर्जा दी थी। इतिहास का दस्तावेजीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि घटनाओं या विद्रोहों के परिणाम ठोस नहीं हैं, इसे लोगों पर इसके प्रभाव से तौला जाना चाहिए।'

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें