बिहार की नीतीश कुमार सरकार जाति जनगणना के मुद्दे पर आगे बढ़ने जा रही है। ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि इस बारे में कैसे आगे बढ़ना है, इस पर उनकी सरकार तैयारी करवा रही है।
जाति जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार और बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला था और इस मामले में जल्द से जल्द क़दम उठाने की मांग की थी।
लेकिन मोदी सरकार ने साफ कर दिया था कि वह जाति जनगणना नहीं कराने जा रही है।
नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि उनकी सरकार इसे कैसे करवाएगी, किस माध्यम से करवाएगी, इसे लेकर पूरी तैयारी करवा रही है और सभी दलों की जो एक राय बनेगी, उसी के आधार पर सरकार इसका एलान कर देगी।
जेडीयू नेता नीरज कुमार ने इस बारे में एएनआई से कहा कि नीतीश सरकार अपने ख़र्च पर जाति जनगणना कराएगी। उन्होंने कहा कि इसकी प्रक्रिया को लेकर तमाम राजनीतिक दलों से सहमति लेकर सरकार आगे की कार्रवाई करेगी।
इस बारे में बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने न्यूज़ 18 से कहा कि राज्य इस बारे में फ़ैसला लेने के लिए आज़ाद हैं और वे अपना फ़ैसला ले सकते हैं।
जाति जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से नीतीश कुमार की मुलाक़ात को लेकर भी विवाद हुआ था। नीतीश कुमार ने कहा था कि जाति जनगणना पर प्रधानमंत्री मोदी उन्हें मिलने के लिए समय नहीं दे रहे हैं। तब इसका यह मतलब निकाला गया था कि बीजेपी जाति जनगणना के पक्ष में नहीं है। हालांकि बाद में नीतीश कुमार बिहार के अन्य नेताओं के साथ प्रधानमंत्री से मिले थे।
ओबीसी वर्ग के नेताओं का कहना है कि जाति जनगणना से ही पता चलेगा कि पिछड़ी जातियों को कितना आरक्षण मिलना चाहिए और अगर आबादी के अुनपात में आरक्षण देना है तो ओबीसी की संख्या को ग़िनना होगा।
वर्तमान में ओबीसी जातियों के बारे में जो अनुमान है, वह 1931 की जाति जनगणना के आधार पर है।
बीजेपी में उठी थी मांग
बिहार की नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री रामसूरत राय ने कहा था कि जातीय जनगणना कराई जानी चाहिए। बीजेपी की सांसद संघमित्र मौर्य ने लोकसभा में जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया था। संघमित्र मौर्य ने कहा था कि यहां तक कि राज्यों और जिलों तक में जानवरों की गिनती हुई लेकिन पिछड़े समाज के लोगों की ग़िनती नहीं की गई।
ऐसे में जब केंद्र सरकार इससे पीछे हट चुकी है और नीतीश सरकार आगे बढ़ रही है तो दोनों के बीच इसे लेकर क्या किसी तरह का टकराव होगा, एक साथ सरकार में रहते हुए एक ही मुद्दे पर अलग-अलग लाइन होने से क्या सूरत बनेगी, ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।
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