loader
फ़ाइल फ़ोटो

पटना: पशु चोरी के शक में युवक की मॉब लिंचिंग, मौत

पशु चोरी या गो मांस ले जाने के शक में दूसरों की जान लेने पर उतारू लोग बीते कुछ सालों में कई लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। मारे जाने वाले लोगों में अधिकतर मुसलमान रहे हैं। ताज़ा घटना बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ में हुई है। 

32 साल के मुहम्मद आलमगीर नाम के युवक को जब कुछ लोगों ने एक पशुगृह से बुधवार तड़के 3 बजे भैंस को ले जाते हुए देखा तो उसे पकड़ने की कोशिश की। 

आलमगीर अपनी जान बचाने के लिए दौड़ा लेकिन वह बच नहीं सका। इसके बाद कई घंटे तक आलमगीर को लोगों ने बेरहमी से पीटा। बुधवार को उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस का कहना है कि घटना में शामिल सभी अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। 

ताज़ा ख़बरें

लुकमान को पीटा था

अगस्त में हरियाणा के गुरूग्राम में कथित गो रक्षकों के एक समूह ने लुकमान नाम के शख़्स को गो मांस की सप्लाई के शक में जमकर पीटा था और तब वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने गो रक्षा के नाम पर गुंडई कर रहे इन लोगों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की थी। लुकमान अपने छोटे ट्रक से मांस लेकर जा रहा था। लेकिन कथित गो रक्षकों ने अपने मन से यह सोच लिया कि यह गो मांस है। उन्होंने लुकमान को मार-मारकर अधमरा कर दिया था। 

मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर देखिए वीडियो- 

5 साल बाद भी न्याय नहीं 

2015 में ग्रेटर नोएडा में अखलाक़ नाम के बुजुर्ग शख़्स को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया था। क्योंकि कथित गो रक्षकों को इस बात का शक था कि उसके फ्रिज में गो मांस रखा है। अखलाक के परिजनों को 5 साल बाद भी न्याय का इंतजार है। वे चाहते हैं कि दोषियों को सज़ा मिले। परिजनों का कहना है कि अभियुक्तों के रिश्तेदार उन पर दबाव डाल रहे हैं कि वे समझौता कर लें और मामला वापस ले लें। 

इसी तरह राजस्थान के अलवर में पहलू खान से लेकर झारखंड में अलीमुद्दीन अंसारी की हत्या सहित ऐसे कई मामले हैं जिनमें गो मांस ले जाने के शक में मुसलमानों को सड़क पर पीटा गया। 

बिहार से और ख़बरें

पिछले साल मध्य प्रदेश में कथित गो रक्षकों ने एक महिला समेत तीन लोगों की बेरहमी से पिटाई की थी और इसका वीडियो ख़ासा वायरल हुआ था। पिछले ही साल कूचबिहार जिले में दो लोगों को चोरी की गाय को ट्रक पर चढ़ा कर ले जाने के शक में बुरी तरह पीटा गया था। 

ऐसी सैकड़ों घटनाएं सामने आती रहती हैं। लेकिन क़ानून व्यवस्था नाम की कहीं कोई चीज नहीं दिखती, जिससे दूसरों की जान लेने वाले ऐसे लोगों को किसी तरह का ख़ौफ़ हो। ऐसी घटनाओं में जान गंवाने लोगों के परिवार वाले इंसाफ़ के लिए तरसते रह जाते हैं लेकिन कुछ नहीं होता। 

इस तरह की बर्बरता न जाने कब रुकेगी, कैसे रुकेगी और कौन इन्हें रोकेगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें