क्या जेडीयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि उन्होंने पार्टी नेतृत्व को लिखे पत्र में अपने इस्तीफे के लिए व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। लेकिन कहा जा रहा है कि विभिन्न मुद्दों पर उनका हालिया बयान पार्टी नेतृत्व से मेल नहीं खा रहा था और उनकी नेतृत्व के साथ नाराजगी भी थी।
केसी त्यागी ने नीतीश कुमार को संबोधित अपने पत्र में कहा है, 'आपने महसूस किया होगा कि पिछले कई महीनों से मैंने टीवी चैनलों पर चल रही बहसों से अपने को दूर रखा है। आपसे अनुरोध है कि अन्य अतिरिक्त कार्यों में संलग्न रहने के कारण मैं पार्टी प्रवक्ता के पद के साथ न्याय नहीं कर पा रहा हूँ।'
उन्होंने आगे कहा है, 'मुझे इस ज़िम्मेदारी से मुक्त करने का कष्ट करें। यद्यपि समय-समय पर आपके व्यक्तित्व एवं बिहार सरकार की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के लिए मैं सदैव उपलब्ध रहूंगा।'
इसके साथ ही पार्टी ने नये प्रवक्ता की नियुक्ति कर दी है। पार्टी महासचिव अफाक अहमद खान ने बताया कि त्यागी की जगह राजीव रंजन प्रसाद नए राष्ट्रीय प्रवक्ता होंगे।
कहा जा रहा है कि जेडीयू में यह घटनाक्रम तब चला है जब केसी त्यागी के हाल के बयानों को लेकर पार्टी में असहज स्थिति थी। त्यागी ने इसराइल-फिलिस्तीन मुद्दे और लैटरल एंट्री विवाद पर हाल ही में बयान दिया था। उन्होंने जो बयान दिया वह पार्टी लाइन से अलग है। उन्होंने केंद्र से इसराइल को हथियारों की आपूर्ति रोकने का आग्रह किया था और कहा था कि भारत ग़ज़ा में शांति और युद्ध विराम का समर्थन करता है।
केसी त्यागी ने केंद्र सरकार से इसराइल को गोला-बारूद मुहैया नहीं कराने की मांग की थी।
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि त्यागी ने नेताओं से परामर्श किए बिना ऐसे बयान दिये और उनकी टिप्पणी के कारण एनडीए के भीतर कथित तौर पर मतभेद की चर्चा है। इस कारण पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई और यह स्थिति धीरे-धीरे गंभीर हो गई। जेडीयू सूत्रों का आरोप है कि उन्होंने इन मुद्दों पर अक्सर अपने व्यक्तिगत विचार प्रस्तुत किए हैं जैसे कि वे पार्टी के विचार हों।
त्यागी के बयानों के कारण सिर्फ जेडीयू ही नहीं, बल्कि एनडीए के भीतर भी मतभेद की ख़बरें सामने आईं। उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ सुर मिलाते हुए इसराइल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए एक साझा बयान पर हस्ताक्षर कर दिए। यह कदम जेडीयू नेतृत्व को असहज करने वाला था और इससे पार्टी के भीतर और बाहर विवाद बढ़ गया।
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