क्या लोकतंत्र में जीतने वाला उम्मीदवार यह कह सकता है कि वोट नहीं दिया है तो काम नहीं करूँगा? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जब गुप्त मतदान की प्रणाली है तो ऐसे मतदाताओं की पहचान कैसे हो सकती है कि किसने वोट दिया है और किसने नहीं? क्या किसी पूरे समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है? सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने कुछ इसी मामले में विवादित बयान दे दिया है।
दरअसल, जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर कम वोटों के अंतर से जीत से नाराज़ हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने सबसे ज्यादा काम यादव और मुस्लिम समाज का किया, लेकिन चुनाव में इन लोगों ने बिना किसी कारण के उन्हें वोट नहीं किया। उन्होंने कहा, 'अगर आगे इस समाज के लोग काम करने आते हैं तो चाय-नाश्ता ज़रूर कराएंगे लेकिन उनका काम नहीं करेंगे।'
देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी में प्रारंभिक शिक्षक संघ के बैनर तले आयोजित अभिनंदन समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम में उन्होंने लोगों से कहा कि एनडीए को वोट कम क्यों मिले, इसका कोई कारण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूड़ी समाज के आधे से ज्यादा वोट क्यों कटे? एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार सांसद ने कहा, 'कहार समाज के भी वोट कटे हैं। कानू समाज के तो वोट मिले, लेकिन कलवार समाज के वोट कट गए। ये वोट तो एनडीए के थे। कुशवाहा समाज के वोट भी अचानक कम हो गए। आखिर ऐसा क्यों हुआ?'
ठाकुर ने मुस्लिम और यादव का नाम लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने साफ़ तौर पर वोट का हवाला दिया और कहा कि वोट नहीं तो फिर काम की उम्मीद क्यों रखना।
सांसद ने कुशवाहा समाज को लेकर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि क्या कुशवाहा समाज इतना स्वार्थी हो गया है? सांसद ने कहा, 'सरकार में इस समाज के बीजेपी से डिप्टी सीएम हैं। यदि उपेंद्र कुशवाहा जीत गए होते तो आज केंद्रीय मंत्री बन गए होते। कुशवाहा समाज से कोई पांच या सात लोग भी सांसद बन जाते जो सीतामढ़ी में उसका क्या फर्क पड़ जाता। क्या सीतामढ़ी के कुशवाहा समाज के लोग उनसे काम करवाने जाते? इनकी सोच कितनी विकृत हो गई है।'
ठाकुर ने कहा कि अगर कह दूँ कि कुशवाहा समाज के लोग अपना काम कराने के लिए लालू प्रसाद के सात कुशवाहा उम्मीदवारों के पास जाएँ तो कैसा लगेगा? उन्होंने कहा कि 'मेरे पास एक मुस्लिम समाज के शख्स कुछ काम कराने के लिए आए थे, लेकिन हमने स्पष्ट कह दिया कि आप पहली बार आये हैं। इसलिए मैं कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा। वरना मैं छोड़ता नहीं हूं। आपने वोट तो लालटेन को दिया होगा, तो उस शख्स ने कबूल भी कर लिया।'
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