देश भर में जिस राज्य के चुनाव की गूंज है, वहां आज पहले चरण का मतदान हो रहा है। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर वोट डाले जाएँगे। लगभग सभी सीटों पर महागठबंधन और एनडीए के बीच जोरदार मुक़ाबला होने की उम्मीद है।
इसके लिए 31 हज़ार मतदान केंद्र बनाए गए हैं। कुल 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं और 21,46,960 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में पहले चरण की 71 सीटों में से 54 सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली थी। जबकि एनडीए को 15 सीटें मिली थीं।
दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर और तीसरे चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर मतदान होगा। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा। चुनावी नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
पाकिस्तान का जिक्र
पहले चरण के चुनाव प्रचार में बीजेपी नेताओं ने कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक का जिक्र कर बिहार चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित करने की कोशिश की लेकिन आरजेडी नेता और सामाजिक न्याय की राजनीति के झंडाबरदार लालू यादव की राजनीतिक विरासत संभालने वाले तेजस्वी ने उन्हें रोज़गार के मुद्दे पर बात करने को मजबूर कर दिया।
तेजस्वी ने दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने की बात कही तो बीजेपी और जेडीयू ने उनकी खिल्ली उड़ाई। लेकिन बीजेपी को जल्द समझ आ गया कि बिहार में कश्मीर, पाकिस्तान का कार्ड नहीं चलेगा और उसने 19 लाख नौकरियों का वादा कर दिया। लोगों ने बीजेपी से पूछा कि आप तो दस लाख में हाथ खड़े कर रहे थे तो 19 लाख नौकरियां कहां से दोगे, इस पर बीजेपी नेता गोल-मोल बातें करने लगे।
तेजस्वी और चिराग के हमलों से परेशान नीतीश कुमार बीजेपी द्वारा एनडीए के नाम पर मोदी का चेहरा चमकाने और कुछ ख़बरिया चैनलों के सर्वे में लोगों के उनसे नाराज़ होने की बात पर कुपित भी हुए।
कुछ चुनावी रैलियों में नीतीश आपा खोते नज़र आए और लालू पर व्यक्तिगत हमले करने लगे। दूसरी ओर, छोटे दलों के गठबंधन ग्रेंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट, प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस ने भी अपनी मौजदूगी दर्ज कराने के लिए जोर लगाया लेकिन चुनावी सर्वे बताते हैं कि उनके लिए बिहार चुनाव में ख़ुश होने लायक कुछ नहीं है।
जाति आधारित राजनीति का गवाह रह चुके बिहार में अभी भी नेता इस पैटर्न से हटना नहीं चाहते और अभी भी लोग अपनी जाति का नेता चुनना चाहते हैं।
भोजपुर और पाटलिपुत्र-मगध के इलाक़े में भूमिहार ताक़तवर हैं तो यादव, कुर्मी, अति पिछड़ा और महादलित वर्ग के मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। नीतीश की कुर्मी, अति पिछड़ा और महादलित वोटों पर अच्छी पकड़ है।
ये हैं प्रमुख उम्मीदवार
प्रमुख उम्मीदवारों की बात करें तो नीतीश सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह दिनारा से, राजस्व मंत्री राम नारायण मंडल बांका से और खनन मंत्री बृज किशोर बिंद चैनपुर से चुनाव लड़ रहे हैं।
इसके अलावा जमुई सीट से गोल्ड मेडलिस्ट शूटर श्रेयसी सिंह, इमामगंज से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, इमामगंज से ही बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी उम्मीदवार हैं। बिहार सरकार के मंत्री प्रेम कुमार गया सीट से और शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन वर्मा जेहानाबाद से चुनाव मैदान में हैं।
मोकामा सीट से बाहुबली अनंत सिंह और रामगढ़ सीट से आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।
बीजेपी को ज़्यादा सीटें
एबीपी न्यूज़-सी वोटर का सर्वे नीतीश के चेहरे पर आई चिंता की लकीरों को और गहरा करता है। क्योंकि सर्वे कहता है कि जेडीयू को 59-67, बीजेपी को 73-81, विकासशील इंसान पार्टी को 3-7 और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 0-4 सीटें मिल सकती हैं। मतलब साफ है कि बीजेपी थोड़ा नहीं ज़्यादा सीटों से आगे दिख रही है।
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