चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने से कतरा रहे हैं? और यदि ऐसा है तो क्यों?
प्रशांत किशोर पटना में हैं। और ख़बर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलना चाह रहे थे। लेकिन वह इंतज़ार करते रह गए पर प्रशांत किशोर के साथ बात नहीं बन पाई। यानी प्रशांत किशोर उनसे मिल नहीं पाए। तो क्या आगे की कुछ संभावना है? सूत्रों के हवाले से रिपोर्टों में कहा गया है कि आगे भी दोनों के बीच मुलाक़ात नहीं होने की संभावना है। तो सवाल है कि जो प्रशांत किशोर कभी जेडीयू में नंबर 2 थे और जिन्हें नीतीश कुमार ने राजनीति में प्रवेश कराया था उनसे वह मिलना क्यों नहीं चाह रहे हैं?
इस सवाल का जवाब बाद में। पहले यह जान लें कि प्रशांत किशोर के साथ हाल में किस तरह की घटनाएँ घटी हैं और उनकी आगे की योजना क्या है।
हाल में प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा चल रही थी और इसको लेकर कांग्रेस आलाकमान के साथ उनकी बैठकें भी हुई थीं। लेकिन बात नहीं बन पाई। कांग्रेस और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच बात क्यों नहीं बनी? वह भी तब जब कहा जा रहा था कि कांग्रेस को जितनी ज़रूरत पीके की है उतनी ही पीके को भी कांग्रेस जैसी पार्टी की ज़रूरत है! रिपोर्ट है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में आमूल-चूल बदलाव चाहते थे और इसके लिए खुली छूट चाहते थे। लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस इसके पक्ष में नहीं थी और वह चाहती थी कि एक-एक कर बदलाव किए जाएँ और खुली छूट देने के पक्ष में वह नहीं थी।
जब कांग्रेस से बात नहीं बनी तो उसके कुछ दिन बाद प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट कर अपनी नयी रणनीति का संकेत दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि लोकतंत्र के असली मास्टर्स यानी लोगों के पास जाने का समय आ गया है जिससे लोगों के मुद्दों को बेहतर ढंग से समझ सकें और जनसुराज के पथ पर आगे बढ़ सकें। अंत में उन्होंने लिखा है '…शुरुआत बिहार से'।
My quest to be a meaningful participant in democracy & help shape pro-people policy led to a 10yr rollercoaster ride!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 2, 2022
As I turn the page, time to go to the Real Masters, THE PEOPLE,to better understand the issues & the path to “जन सुराज”-Peoples Good Governance
शुरुआत #बिहार से
इस ट्वीट के बाद ही प्रशांत किशोर दो दिनों के लिए बिहार में पहुँचे हैं और रिपोर्ट आई कि नीतीश कुमार उनसे मिलना चाहते हैं। स्थानीय मीडिया में रिपोर्टें आईं कि प्रशांत और नीतीश कुमार ने रविवार को मिलने की संभावित योजना बनाई। मीडिया इंतज़ार कर रहा था और कथित तौर पर मुख्यमंत्री ने भी इंतज़ार किया। लेकिन यह जानकर कि प्रशांत किशोर के आने की संभावना नहीं है, उन्होंने पटना में सड़कों का औचक निरीक्षण किया। राज्य मंत्री नितिन नवीन और अन्य अधिकारियों को अल्प सूचना पर बुलाया गया और पटना और उसके आसपास सड़कों और पुलों का निरीक्षण तीन घंटे तक चला।
तो सवाल है कि प्रशांत कुमार क्यों नीतीश कुमार से मिलना नहीं चाहते हैं? आख़िर क्या नाराज़गी है?
समझा जाता है कि इसकी कई वजहें हैं। अधिकतर वजहें तो तब की हैं जब प्रशांत किशोर जेडीयू में थे और जब उन्होंने पार्टी छोड़ी थी। पार्टी छोड़ने पर नीतीश ने तो यहां तक कह दिया था कि अमित शाह के कहने पर उन्होंने प्रशांत किशोर को अपनी पार्टी में लिया था। हालाँकि अमित शाह ने इस दावे को खारिज किया था।
लेकिन पार्टी छोड़ने से पहले ही दोनों के बीच नाराज़गी की शुरुआत हो गई थी। मीडिया में सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि जब 2018 में बीजेपी और जेडीयू में सबकुछ ठीक नहीं था तो प्रशांत किशोर नीतीश की तरफ़ से आरजेडी के लालू यादव से मिलने गए थे। लेकिन नीतीश ने बीजेपी से आश्वासन मिलने के बाद अपने हाथ खींच लिए और प्रशांत किशोर की बात आगे नहीं बढ़ पाई। पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में भी कथित तौर पर दरकिनार किए जाने से भी वह नाराज़ थे। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी प्रशांत किशोर को नीतीश ने काम नहीं दिया। कई और ऐसे मामले थे जो प्रशांत किशोर के ख़िलाफ़ थे।
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