बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के द्वारा रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान से जेडीयू ने किनारा कर लिया है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि ललन सिंह के इस बयान को लेकर जो भी फैसला लेना है, वह आरजेडी को लेना है। उन्होंने कहा कि जनता दल यूनाइटेड सभी धर्म के लोगों का, सभी धर्मों को मानने वालों का सम्मान करती है।
ललन सिंह ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि जनता दल यूनाइटेड सभी धर्म ग्रंथों का भी सम्मान करती है।
जबकि आरजेडी की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान का समर्थन किया था और कहा था कि पार्टी उनके बयान के साथ खड़ी है।
जगदानंद सिंह ने कहा था कि कमंडलवादियों से लड़ने के लिए हम सभी समाजवादी तैयार हैं और आगे लड़ाई लड़ी जाएगी।
एफआईआर दर्ज
इस मामले में विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है और बिहार में शिक्षा मंत्री के खिलाफ 2 जगहों- मुजफ्फरपुर और किशनगंज में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। मुजफ्फरपुर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत में मंत्री के बयान के खिलाफ याचिका दायर की गई है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की तारीख 25 जनवरी की तय की है। इस मामले में बेगूसराय में चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में भी याचिका दायर की गई है।
क्या कहा था मंत्री ने?
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में रामचरितमानस, मनुस्मृति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एमएस गोलवलकर की किताब बंच ऑफ थॉट्स को नफरत फैलाने वाला बताया था। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था और बीजेपी ने मांग की थी कि शिक्षा मंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
इससे पहले जेडीयू के नेता और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि उनकी पार्टी और नेता नीतीश कुमार सभी धर्म और परंपराओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा था कि यदि रामचरितमानस में दलितों और ओबीसी समुदाय के प्रति अपमान का भाव होता तो इसमें शबरी और निषादराज केवट जैसे पात्र नहीं होते। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने इस बयान को खारिज कर देंगे। लेकिन न सिर्फ चंद्रशेखर अपने बयान पर टिके रहे और जगदानंद सिंह ने भी उनका समर्थन किया।
कुशवाहा बोले- कार्रवाई हो
जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने जी न्यूज़ से बातचीत में कहा है कि ऐसे मामले में चर्चा करने से बीजेपी को सीधा फायदा होता है। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में ऐसी आशंका है कि आरजेडी को केंद्र सरकार से कुछ लाभ चाहिए और इस लाभ के बदले बीजेपी को फायदा पहुंचाना होगा और इस तरह के बयानों से इस आशंका को और बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि जल्दी से जल्दी ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
कुशवाहा ने कहा कि आरजेडी के नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि वे इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं।
रामचरितमानस का किया पाठ
उधर, शिक्षा मंत्री के बयान के बाद बीजेपी और जेडीयू के नेताओं ने शनिवार को पटना में रामचरित मानस का पाठ किया। जेडीयू के नेता नीरज बबलू ने एएनआई से कहा कि महात्मा गांधी ने हे राम कहा था, संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान में भगवान राम का चित्र उकेरा है और समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया रामायण मेला के पक्षधर थे। जबकि बीजेपी ने कहा कि जेडीयू को हमारे धार्मिक ग्रंथों पर चोट नहीं करनी चाहिए।
जेडीयू के रुख से ऐसा साफ लगता है कि वह इस तरह के विवादों में नहीं पड़ना चाहती जिससे बिहार में चल रही महागठबंधन की सरकार पर हिंदू धर्म के अपमान का कोई आरोप लगे और बीजेपी नीतीश सरकार पर हमलावर हो।
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