बिहार के छपरा में जहरीली शराब पीने से अब तक 70 लोगों की मौत हो गई है। छपरा के अलावा सिवान में भी जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत हुई है। घटना को लेकर बिहार बीजेपी ने राज्य की नीतीश-तेजस्वी सरकार को घेर लिया है।
70 लोगों की मौत के अलावा 30 से अधिक लोगों का उपचार सरकारी अस्पताल व निजी क्लीनिकों में चल रहा है।
इस मामले में मशरक और इसुआपुर में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच के लिए बनाई गई एसआईटी ने सात बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया है। यह हैरानी की बात है कि बिहार में साल 2016 से शराबबंदी लागू है और उसके बाद भी लगातार जहरीली शराब बिक रही है और इसे पीने वालों की लगातार मौत भी हो रही है।
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नीतीश पर हो एफआईआर
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने छपरा में जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह जहरीली शराब से मौत का मामला नहीं है बल्कि हत्या का मामला है और इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं।
जो शराब पियेगा, वह मरेगा
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को एक बार फिर विधानसभा में कहा था कि जो शराब पियेगा, वह मरेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई गड़बड़ शराब पीकर मर जाता है तो उसके लिए कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब पीने से मौत होने पर सरकार कोई मदद नहीं करेगी।
नीतीश ने गुरूवार को भी जो शराब पियेगा वह मरेगा वाला बयान दिया था। उनके इस बयान के बाद सियासत गर्म है। विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं ने नीतीश कुमार के इस बयान को बेहद असंवेदनशील बताया है।
बीजेपी ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी नहीं हुई है, बस उसके ठिकाने बदल गए हैं। पहले ठेके थे, अब नीतीश जी ने इसका जिम्मा अपने पुलिस प्रशासन को दे दिया है। रोज लोगों को श्रद्धाजंलि देने से बेहतर है कि ऐसी सरकार को बिहार की जनता श्रद्धांजलि दे दे।
नीतीश कुमार ने साल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया था लेकिन पिछले कुछ सालों में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है और इस वजह से नीतीश कुमार विपक्षी दलों के निशाने पर हैं।
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