सीबीआई ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा है कि वह आईआरसीटीसी घोटाला मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को दी गई जमानत को रद्द करे। सीबीआई ने अदालत के सामने दलील रखी कि तेजस्वी यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान सीबीआई अफसरों को धमकी दी और इससे यह मामला प्रभावित हुआ है। अदालत की विशेष जज गीतांजलि गोयल ने सीबीआई की याचिका पर तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
क्या है मामला?
आईआरसीटीसी घोटाला मामला 2006 में रांची और ओडिशा के पुरी में आईआरसीटीसी के 2 होटलों को चलाने का अनुबंध एक निजी फर्म को देने में हुई कथित मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है। इस मामले में तेजस्वी यादव और उनकी मां और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को अगस्त 2018 में जमानत मिली थी।
सीबीआई ने इस मामले में दो कंपनियों और 12 लोगों को आरोपी बनाया था। इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने भी चार्जशीट दायर की थी और तेजस्वी यादव पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था।
क्या कहा था तेजस्वी ने?
पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा था कि क्या सीबीआई के अफसरों के मां और बच्चे नहीं हैं, क्या उनका परिवार नहीं है, क्या वे हमेशा सीबीआई के अफसर बने रहेंगे, क्या वे रिटायर नहीं होंगे, क्या यही राजनीतिक दल हमेशा सत्ता में बना रहेगा। उन्होंने सीबीआई के अफसरों से कहा था कि आप क्या संदेश देना चाहते हैं, आपको अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए।
रेलवे भर्ती घोटाला मामला
बताना होगा कि सीबीआई ने इस साल जुलाई में रेलवे भर्ती घोटाला मामले में बिहार में कई जगहों पर छापेमारी की थी और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव को गिरफ्तार कर लिया था। रेलवे भर्ती घोटाला मामले में लालू यादव के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और हेमा यादव भी अभियुक्त हैं। रेलवे भर्ती घोटाला मामला तब का है जब लालू यादव यूपीए की सरकार में रेल मंत्री थे।
आरोप है कि उस वक्त रेलवे में भर्ती के कई उम्मीदवारों को नौकरियां देने के बदले में उनसे जमीन ली गई थी।
बताना होगा कि बिहार की सत्ता में पिछले महीने ही बड़ा उलटफेर तब हुआ जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई है। नई सरकार में तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने हैं।
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