बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पिछली बार तो कोरोना था, इसलिए वे पीएम मोदी से नहीं मिले। लेकिन ऐसा दूसरी बार होने जा रहा है जब वो सोमवार को भी पीएम मोदी के एक कार्यक्रम से मुंह मोड़ सकते हैं। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि नीतीश सोमवार को पीएम मोदी का अघोषित बहिष्कार कर सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग की सोमवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में बिहार का कोई प्रतिनिधि नहीं होगा। सूत्रों ने कहा कि नीतीश, जो अभी-अभी कोविड -19 से उबरे हैं, अपने डिप्टी को भेजना चाहते थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि यह कार्यक्रम केवल मुख्यमंत्रियों के लिए है।
हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री सोमवार को अपना जनता दरबार आयोजित करने के लिए तैयार हैं - जहां वह जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलते हैं। उस दिन वो उस कार्यक्रम को फिर से शुरू कर सकते हैं जो पिछले कुछ हफ्तों से उनके स्वास्थ्य और अन्य व्यस्तताओं के कारण रद्द कर दिया गया था।
सूत्रों ने कहा कि कुमार लंबे समय से नीति आयोग की बैठकों में नहीं जा रहे हैं, जो बिहार को राज्य विकास रैंकिंग में सबसे नीचे रखता है।
इससे पहले पिछले महीने मुख्यमंत्री निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए पीएम मोदी द्वारा आयोजित रात्रिभोज और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उद्घाटन समारोह से भी दूर रहे हैं।
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक के लिए अपने डिप्टी को भेजा था। बीजेपी के साथ नीतीश कुमार के मनमुटाव की खबरें लगातार आ रही हैं। ये मनमुटाव घटने की बजाय बढ़ रहा है। कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की थी, लेकिन दोनों दलों के बीच खटास पिछले कुछ महीनों में बढ़ी हैं। दोनों तरफ से बयान तक आए।
अब, दोनों दलों के बीच तकरार लगभग एक नियमित मामला बन गया है, जिसमें हाल ही में अग्निपथ योजना को लेकर आमना-सामना, जाति जनगणना पर बयानबाजी इसी कड़ी में शामिल हैं। इसके बाद नीतीश ने अपने ओएसडी को जेडीयू से निकाल बाहर किया। ओएसडी ने बीजेपी से नजदीकियां बढ़ा ली थीं।
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