कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
पीछे
कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
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जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का अयोध्या कूच का कार्यक्रम धार्मिक कम राजनीतिक ज़्यादा है। उन्हें कांग्रेस ख़ेमे का संत माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या कूच करने के पीछे उनका मक़सद विहिप विरोधी संतों व संगठनों को जोड़कर विहिप, आरएसएस को राम मंदिर के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करना ही माना जा रहा है, जिससे कांग्रेस को चुनाव में फ़ायदा पहुँचाया जा सके।
आयोजकों के पास ज़मीनी संगठन नहीं होने से उन्हें जनसमर्थन नहीं मिल पा रहा है। बताया गया है कि आयोजक राजनीति के मैदान में उतरे प्रवीण तोगड़िया के संगठन अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद को जोड़ने की कोशिश में हैं।
विहिप के कैंप के संत व विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि स्वामी स्वरूपानंद का पूरा कार्यक्रम कागज़ी व मंदिर निर्माण में आगे के लिए बाधाएँ खड़ा करना ही है। शर्मा के मुताबिक़, स्वरूपानंद ने मंदिर आंदोलन का विरोध ही किया था। शर्मा ने कहा कि स्वरूपानंद ने सिर्फ़ कागज़ी समानांतर ट्रस्ट भी बनाया पर मंदिर निर्माण को लेकर तैयारी को शून्य पर ही रखा।
योगी सरकार ने भी स्वामी स्वरूपानंद के कार्यक्रम को विफल बनाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। अयोध्या की धर्मशालाओं, मंदिरों व होटलों के मैनेजरों को हिदायत दी जा रही है कि वे स्वामी स्वरूपानंद के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या आने वालों को अपने संस्थाओं मे ठहरने न दें।
बीजेपी व विहिप भी स्वामी स्वरूपानंद के अयोध्या कूच कार्यक्रम को फ़ेल करने की जुगत में हैं। हाल ही में स्वामी स्वरूपानंद के सहयोगी अविमुक्तेश्वरानंद अयोध्या में जानकी घाट के मंदिर में महंत जनमेजय शरण के साथ विहिप विरोधी कुछ महंतों की बैठक में आए थे। उन्होंने संतों से 21 फ़रवरी के मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आगे आने की अपील की थी। इससे विहिप ख़ेमे में सरगर्मी बढ़ गई।
वास्तव में मंदिर आंदोलन के समय से ही स्वरूपानंद व विहिप संतों के अलग-अलग मत रहे हैं। विहिप ख़ेमे के संतों की सहानुभूति बीजेपी से है तो स्वामी स्वरूपानंद को कांग्रेस ख़ेमे का संत माना जाता है।
शिवसेना के नेता संतोष दुबे ने भी पिछले महीने संतों के साथ जनसंपर्क अभियान चलाया था, इसमें हिंदू महासभा भी शामिल थी। अभियान में मोदी सरकार को राम मंदिर के निर्माण को लेकर घेरा गया था। साथ ही, विहिप की मंदिर पर चुप्पी को निशाने पर लिया गया था। अब जब विहिप व संघ के नेताओं ने मंदिर आंदोलन को 4 महीनों के लिए टाल दिया है तो विहिप व संघ को घेरने की मुहिम में ये संगठन भी जुड़ रहे हैं। शिवसेना के संतोष दुबे के भी अविमुक्तेश्वरानंद की बैठक में शामिल होने की ख़बर है।
अयोध्या में हालाँकि विहिप समर्थक संतों की लॉबी मज़बूत है पर मंदिर निर्माण के मुद्दे को धर्म सभा के जरिये तेज़ करने के बाद वे अचानक चुनाव के बहाने पीछे हट गए हैं। इसे लेकर संतों में मायूसी है पर वे स्वामी स्वरूपानंद के अयोध्या कूच कार्यक्रम से नहीं जुड़ना चाहते। ऐसे में अयोध्या कूच कार्यक्रम में कोई दम दिखेगा, इसमें भी शक है।
तय कार्यक्रम के मुताबिक़, संत 19 फ़रवरी को स्वामी स्वरूपानंद के नेतृत्व में अयोध्या कूच करेंगे और इसके बाद जानकी घाट के बड़ा स्थान जाएँगे। 20 फ़रवरी को अयोध्या में विराट सभा होगी, 21 फ़रवरी को दोपहर में संत राम जन्म भूमि शिलान्यास के लिए कूच करेंगे। कार्यक्रमों की अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया गया है। प्रशासन के सूत्रों का कहना है कि इसके लिए अनुमति नहीं दी जाएगी।
द्वारिका पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद की अयोध्या में मजबूत कड़ी समझे जाने वाले और राम जन्म भूमि निर्माण न्यास से जुड़े महंत जनमेजय शरण के ख़िलाफ़ बीजेपी नेता परमानंद ने हाल ही में केस दर्ज करवाया है। इसमें उन पर जानलेवा हमला करने का आरोप है।
परमानंद व महंत जनमेजय शरण के बीच पुरानी रंजिश चली आ रही है। अब इस केस के आधार पर पुलिस उनके ख़िलाफ़ एक्शन ले सकती है। दूसरी ओर, महंत जनमेजय शरण ने आरोप लगाया है कि फ़र्ज़ी केस दर्ज करवा कर उनके ख़िलाफ़ साज़िश रची गई है। जिससे स्वामी स्वरूपानंद के कार्यक्रम को बाधित किया जा सके। क्योंकि कार्यक्रम का मुख्य स्थल उनका मठ ही है।
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