दशकों से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया है और मसजिद के लिये दूसरी जगह ज़मीन देने का आदेश दिया है। फ़ैसला आने के बाद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष जफ़र फ़ारूक़ी ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का विनम्रता से स्वागत करते हैं। फ़ारूक़ी ने कहा कि वह यह पूरी तरह साफ़ करना चाहते हैं कि वक़्फ़ बोर्ड अयोध्या विवाद पर आये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती नहीं देगा और न ही क्यूरेटिव पिटीशन दाख़िल करेगा। फ़ारूक़ी ने कहा कि अगर कोई वकील या अन्य व्यक्ति बोर्ड की तरफ़ से न्यायालय के फ़ैसले को चुनौती देने की बात कह रहा है तो उसे सही न माना जाए।
जबकि फ़ैसला आने के बाद सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा था कि वह इस पर विचार करेंगे कि वह इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर करें या नहीं। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला विरोधाभासी है। जिलानी ने यह भी कहा था कि फ़ैसले के कुछ पक्ष से देश के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे को मज़बूती मिलेगी।
हालाँकि, अयोध्या विवाद मामले में याचिकाकर्ता इक़बाल अंसारी ने कहा है कि वह इस फ़ैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ वह पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करेंगे।
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