स्वरूपानंद को कांग्रेस ख़ेमे का संत माना जाता है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या कूच करने के उनके एलान के बाद सरगर्मी बढ़ गई है।
अर्नब गोस्वामी ने 28 साल पहले खारिज किए जा चुके झूठ को नए सिरे से पुनर्जीवित करके रिपब्लिक भारत चैनल को जमाने का प्रयास किया है और ऐसा करना बेहद शर्मनाक है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ग़ैर विवादित ज़मीन को उसके मालिकों को लौटा दिया जाए। संघ ने 31 साल पहले ऐसी पेशकश को ठुकरा दिया था। बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शैलेश।
संघ सर कार्यवाह भैया जी जोशी के कुंभ में दिए एक व्यक्तव्य के बाद विवाद खड़ा हो गया। जोशी ने कहा था कि 2025 में राम मंदिर बन जाने के बाद देश बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
राम मंदिर पर अदालत के फ़ैसले के बाद ही क़ानून बनाने के मोदी के बयान पर अयोध्या में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। आंदोलन से जुड़े तमाम साधु-संत बेहद ग़ुस्सा हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर पर अध्यादेश नहीं लाने की बात कही है क्योंकि उन्हें पता है कि राम मंदिर मुद्दे के दम पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है।
‘अयोध्या - राम जन्मभूमि- बाबरी मसजिद का सच’ किताब के लेखक शीतला सिंह ने दावा किया है कि बालासाहेब देवरस ने अशोक सिंघल को डाँट लगाई थी कि वे राम मंदिर निर्माण के लिए कैसे तैयार हो गए थे। उन्होंने और क्या-क्या दावे किए, विडियो में सुनिए।
तक़रीबन 31 साल पहले ही राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद का निपटारा हो गया होता, पर तत्कालीन आरएसएस प्रमुख बाला साहेब देवरस ने उसे ठुकरा दिया था। उन्होंने ऐसा क्यों किया?
राम मंदिर पर हलचल है लेकिन मुसलमान चुप हैं। आख़िर मुसलमान क्या चाहते हैं? वे चाहते हैं इस मामले का हल? एक ऐसा हल जिससे यह झगड़ा हमेशा के लिए ख़त्म हो जाए।
राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज शुरू हो रही है। मुसलमान कोर्ट के फैसले को मानने को तैयार हैं और वे किसी तरह का तनाव अब और नहीं चाहते।
राजीव गाँधी से लेकर राहुल गाँधी तक कांग्रेस ने कई बार हिंदुत्व को अपनाने की कोशिश की लेकिन उसे इसका नुकसान हुआ। मुसलमान तो नाराज़ हुआ ही, हिंदू भी बीजेपी के पास चला गया।