वर्षों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में फ़ैसला दिया। इस फ़ैसले की मुख्य बात यह रही कि अदालत ने विवादित स्थल रामलला को और मसजिद के लिए मुसलिम पक्ष को वैकल्पिक ज़मीन देने का आदेश दिया।
कोर्ट के पास मौक़ा है कि वह आस्था बनाम दस्तावेज के बीच से एक को चुनकर ध्रुवीकरण का रास्ता खोले या क़ानून की एक ऐसी परिभाषा दे जिससे विज्ञान एवं धर्म के बीच समन्वय का मार्ग बने।
सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुना देगा। इसके लिए अयोध्या में ख़ास तैयारियाँ की गई हैं, सुरक्षा बलों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
आज अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला सुनाएगा। वे कौन मुद्दे हैं, जिन पर सर्वोच्च अदालत को निर्णय देना है? इन्ही मुद्दों पर 2010 में इलाहाबाद ने फ़ैसला सुनाया था। क्या था वह फैसला?
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फ़ैसला सुनायेगा। लंबे समय से चल रहे इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच सुबह साढ़े 10 बजे फैसला सुनाएगी।
अयोध्या विवाद पर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओम प्रकाश सिंह को सुप्रीम कोर्ट में बुलाया है।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से आने वाले फ़ैसले से पहले अयोध्या में विहिप ने एक चौंकाने वाला फ़ैसला लिया है। तीन दशक में पहली बार इसने राम मंदिर बनाने के लिए पत्थरों को तराशने के काम को बंद कर दिया है।
1953 में शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी से कश्मीर की सापेक्ष स्वायत्तता को समाप्त करने का जो सिलसिला नेहरू सरकार ने शुरू किया था, उसे मोदी सरकार ने तार्किक परिणति तक पहुँचा दिया है।
स्वामी स्वरूपानंद का अयोध्या कूच का कार्यक्रम निरस्त हो गया। इसका कारण अचानक उनकी तबियत ख़राब होना व पुलवामा में सीआरपीएफ़ के जवानों पर आतंकी हमला बताया गया है।