कमलनाथ मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। उनके नाम की घोषणा आज विधायक दल की बैठक के बाद ए. के. ऐंटनी ने की। कमलनाथ शुक्रवार को राज्यपाल से मिलेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
एमपी की राजनीति में कमल नाथ की मजबूत पकड़ है। चुनाव से पहले राहुल गाँधी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपकर बता दिया था कि वह उन पर कितना भरोसा करते हैं।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से चूक गई। कहां कमी रही, चुनावी नतीजे ही साफ़ तौर पर बताते हैं। कांग्रेस का खेल ख़राब करने में विंध्य और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का रोल बेहद अहम रहा।
शहरी इलाक़ों में पैठ रखने वाली भारतीय जनता पार्टी को इन चुनावों में भारी नुक़सान उठाना पड़ा। आख़िर क्यों? क्या शहरी मतदाताओं ने इसके हिदुत्व जैसे मूल मुद्दों को नापसंद किया?
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि तीन राज्यों में जीत के बाद राहुल गाँधी क्या अब परमपूज्य हो गए हैं। ठाकरे ने कहा है कि पीएम मोदी और अमित शाह के ख़राब व्यवहार के कारण बीजेपी की हार हुई है।
पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इन राज्यों के मतदाताओं ने इस सवाल का जवाब दे दिया है कि नरेन्द्र मोदी के सामने कौन है? तो क्या यह मोदी के लिए सँभलने का समय नहीं है?
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीएम पद को लेकर कांग्रेस नेताओं में जबर्दस्त खींचतान चल रही है। कांग्रेस भी बीजेपी जैसा उपमुख्यमंत्री वाला फॉर्मूला अपना सकती है। तीनों राज्यों में कौन-कौन होंगे मुख्यमंत्री?
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में संभावनाओं के अनुसार शिवराज सरकार के 13 मंत्री चुनाव हार गए। दो मंत्रियों की करारी हार में नोटा का रोल रहा। पिछले चुनाव में 10 मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा था।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज दिल्ली में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया है। इससे मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का रास्ता काफ़ी आसान हो गया है।
लौक लुभावन अर्थनीति और स्कीमों के ज़रिए पैसे लुटाने की रणनीति की वजह से मध्य प्रदेश में बीजेपी की स्थिति उतनी बुरी नहीं हुई, जितनी आशंका थी। शिवराज सिंह चौहान का कद बढ़ेगा।
पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजे आ गए। बीजेपी को ज़बरदस्त झटका लगा है, कांग्रेस का तीन राज्यों में बढ़िया प्रदर्शन रहा है। मिज़ोरम में उसे हार मिली।
एक साल पहले राहुल कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। उन्होंने साबित कर दिया कि वे बेमन से राजनीति कर रहे व्यक्ति से जनता की नब्ज़ पकड़ने वाले परिपक्व नेता बन रहे हैं।