परमाणु परीक्षणों के लिए देश और दुनिया में लोगों के ज़ेहन में बैठ चुका राजस्थान का पोखरण कम से कम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कुछ और वजहों से बरसों तक याद रहेगा। राजस्थान के पोखरण विधानसभा चुनाव के नतीजे ने भाजपा के लिए महज़ एक सीट कम करने का काम किया पर योगी और उनके मठ गोरखनाथ के आभामंडल को घटाने का भी काम किया। पोखरण सीट पर योगी आदित्यनाथ के नाथ संप्रदाय के प्रतिष्ठित संत महंत प्रताप पुरी प्रत्याशी थे और हिन्दू-बहुल इस सीट पर उनके मुक़ाबले कांग्रेस से इलाक़े के पीर फ़कीर ख़ानदान के सालेह मुहम्मद थे।
भाजपा ने पोखरण विधानसभा की यह सीट प्रताप पुरी को योगी आदित्यनाथ की सिफ़ारिश पर दी थी। योगी की सिफ़ारिश के चलते ही पोखरण के भाजपा विधायक शैतान सिंह का टिकट काटा गया था। योगी स्वयं नाथ समुदाय से हैं और प्रताप पुरी भी तारातरा मठ के महंत हैं। मारवाड़ यानी पश्चिम राजस्थान में 'देखो-देखो कौन आया बाड़मेर का योगी आया' जैसे नारे भी नाथ संप्रदाय के संन्यासी प्रताप पुरी के चुनाव में योगी आदित्यनाथ से जोड़ कर लगे थे।
योगी ने ताक़त झोंकी
पोखरण की इस सीट से योगी की प्रतिष्ठा इस कदर दाँव पर थी कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यहाँ रैली को संबोधित करने के साथ ही एक रात भी बिताई थी। योगी ने पोखरण में अपनी रैली उसी दिन की जिस दिन राहुल गाँधी की सभा थी। इतना ही नहीं, राजस्थान भाजपा के अन्य प्रत्याशियों के मुक़ाबले महंत प्रताप पुरी को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए गए और गोरखनाथ मठ से प्रचारकों की एक टीम ने पोखरण में 15 दिनों तक जाकर डेरा डाला था।
पोखरण में दलित-मुस्लिम गठजोड़ को रोकने के लिए हिंदुत्व के चेहरे के रूप में अपनी छवि बनाने वाले योगी का ‘अली और बजरंग बली’ का नारा नाकाम रहा, बजरंग बली को दलित बताने का फॉर्मूला भी लोगों को रास नहीं आया।
हिन्दू-मुसलिम रंग
पोखरण की सीट पर यों तो महंत तारापुरी ने सालेह मुहम्मद को तगड़ी टक्कर दी और अंतिम चरण में वे एक हज़ार से कुछ कम वोटों से हारे पर जिस कदर इस पूरे चुनाव को हिन्दू-मुस्लिम रंग दिया गया था और योगी ने अपनी प्रतिष्ठा जोड़ी थी, उसे देखते हुए यह एक असंभव को संभव बनाने जैसा ही रहा।क़रीब दो लाख मतदाताओं वाले पोखरण विधानसभा क्षेत्र में मुसलमानों के साथ-साथ राजपूतों, दलितों व जाटों की अच्छी-ख़ासी आबादी है। लगभग 70 फीसदी हिन्दू आबादी वाले इस इलाके में ज़्यादातर नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी हैं और इस लिहाज़ से गोरखनाथ मठ के लिए ज़्यादा महत्व रखता है।
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