कौन है नाराज़?
बंगाली- बहुल बराक घाटी में रिपोर्ट की सिफ़ारिशों पर नाराज़गी व्यक्त की गई है। विशेष रूप से असमिया पहचान का निर्धारण करने के लिए कट-ऑफ डेट 1951 बनाने के बारे में लोगों ने नाराज़गी जाहिर की है। कई अल्पसंख्यक समूहों ने भी समिति की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज की है।रिपोर्ट में संसद, राज्य विधानसभा, स्थानीय निकायों में मूल असमिया लोगों के आरक्षण और अन्य राज्यों के लोगों के असम में प्रवेश को विनियमित करने की माँग शामिल है।
सरकार का आश्वासन!
शर्मा ने कहा, ‘हम खंड 6 को लागू करने के लिए संकल्पित हैं और सही दिशा में बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट जारी करके आसू ने जटिलताएं पैदा की हैं।’ उन्होंने आश्वासन दिया कि समिति की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा और यह असमिया लोगों को परिभाषित करेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद ही यह मामला केंद्र के पास जाएगा और खंड 6 के क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू होगी।खंड 6 में क्या है?
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब कुमार शर्मा की अध्यक्षता में समझौते के खंड 6 पर सलाह देने के लिए गठित 13 सदस्यीय समिति ने इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल को रिपोर्ट सौंपी।किसे 'असमिया' कहा जा सकता है, इसे परिभाषित करना समिति के मुख्य कार्यों में से एक था, क्योंकि समझौते ने इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया था।
सरकार का पलटवार
शर्मा ने कहा, ‘आसू कुछ महीनों की 'निष्क्रियता' से परेशान हो सकता है, लेकिन समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिफ़ारिशों को दो साल के भीतर लागू किया जाना है, क्योंकि एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा सावधानीपूर्वक जाँच की जाएगी कि इसमें संवैधानिक प्रावधान शामिल हैं या नहीं।’ उन्होंने कहा,“
‘चूंकि हमारी सरकार अपने कार्यकाल के अंत में है और विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने वाले हैं, इसलिए बेहतर होगा कि नवनिर्वाचित विधानसभा असमिया लोगों की परिभाषा की पुष्टि करने का मुद्दा उठाए।’
हिमंत विश्व शर्मा, वित्त मंत्री, असम
विपक्ष का जवाब
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, ‘रिपोर्ट को सरकार दबाकर बैठी हुई है। बीजेपी ने पहले कहा था कि एक सप्ताह के बाद वह लागू करेगी, लेकिन 5 महीने गुजर गए। रिपोर्ट पर केंद्र सरकार चुप क्यों है? हम दस्तावेज़ जारी करने के लिए आसू को बधाई देते हैं, क्योंकि उसने अपना कर्तव्य निभाया है।’“
‘अगर सीएए लागू होता है, तो खंड 6 कैसे लागू हो सकता है? यह बैंक खाते में 15 लाख रुपये देने की तरह एक और जुमला है। जब तक वे सीएए को वापस नहीं लेते, तब तक खंड 6 लागू नहीं किया जा सकता है?’
तरुण गोगोई, पूर्व मुख्यमंत्री, असम
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