प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अपने असम दौरे के दौरान डिब्रूगढ़ कैंसर हॉस्पिटल का उद्घाटन करने के साथ ही विकास के कई कामों का शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री ने दिफू में एक बड़ी रैली भी की। रैली में उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से पूर्वोत्तर में मुश्किलें लगातार कम हो रही हैं और विकास हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कार्बी आंगलोंग या दूसरे जनजातीय क्षेत्रों में सरकार विकास और विश्वास की नीति पर ही काम कर रही है। उन्होंने कहा, “पहले जब इस क्षेत्र की चर्चा होती थी, तो कभी बम और कभी गोली की आवाज सुनाई देती थी। लेकिन आज तालियां गूंज रही हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 8 सालों के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था लागू होने के कारण सरकार ने AFSPA को पूर्वोत्तर के कई क्षेत्रों से हटा दिया है। उन्होंने इस दौरान बोडो अकॉर्ड और कार्बी आंगलोंग समझौते का भी जिक्र किया।
मोदी ने कहा कि जल जीवन मिशन के शुरु होने से पहले तक यहां 2 प्रतिशत से कम गांवों के घरों में पाइप से पानी पहुंचता था, वहीं अब 40 प्रतिशत परिवारों तक पाइप से पानी पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज की संस्कृति, यहां की भाषा, खान-पान, कला, हस्तशिल्प, ये सभी हिंदुस्तान की समृद्ध धरोहर है।
इस दौरान प्रधानमंत्री असम में स्थानीय जनजातीय कलाकारों के पास गए और उनसे हाथ मिलाया। कलाकार प्रधानमंत्री को अपने पास देखकर काफी खुश हुए और उन्होंने पारंपरिक अंदाज में उनका स्वागत किया।
पूर्वोत्तर में चुनौतियां
नगालैंड के मोन जिले में बीते साल हुई फायरिंग में कई स्थानीय लोगों की मौत के बाद माहौल बिगड़ गया था। इसके बाद नगालैंड में AFSPA को हटाने के लिए बड़ी रैलियां भी हुई थी।असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसक झड़प भी हुई थी और कई लोग घायल हो गए थे। इसे लेकर गृहमंत्री अमित शाह भी विपक्ष के निशाने पर रहे थे। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद कई दशकों पुराना है और इसे सुलझाने की भी तमाम कोशिशें की जा चुकी हैं।
निश्चित रूप से सरकार के सामने पूर्वोत्तर में चुनौतियां ज्यादा हैं हालांकि मोदी सरकार का दावा है कि उसने पूर्वोत्तर तक पहुंच बढ़ाई है।
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