असम में हुआ भारी मतदान क्या व्यवस्था- विरोधी वोट है यानी कि अधिक मतदान इसलिए हुआ कि लोगों में मौजूदा सरकार के प्रति गुस्सा है? अभी कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन भारी मतदान और चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों के आधार पर एक मोटा अनुमान लगाया जा सकता है।
मंगलवार को तमिलनाडु की सभी 234 विधानसभा सीटों पर मतदान हैं। इसके अलावा केरल विधानसभा की सभी 140 और पुडुचेरी की सभी 30 सीटों पर लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
चुनाव आयोग ने असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विस्व सर्मा को राहत देते हुए चुनाव प्रचार पर लगी रोक 48 घंटे से घटा कर 24 घंटे कर दी है। विस्व सर्मा शनिवार शाम से ही चुनाव प्रचार कर सकेंगे।
असम में बीजेपी नेता और मंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी गई है। उनपर यह पाबंदी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के नेता के ख़िलाफ़ एनआईए के माध्यम से जेल भेजने की धमकी देने के लिए लगाई गई है।
असम में एक अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। दूसरे दौर की 39 सीटों के लिए 345 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण की सैंतालीस सीटों से उलट इस चरण में मामला एकतरफ़ा नहीं होगा।
विधानसभा चुनावों के दूसरे चरण के तहत पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 39 सीटों के मतदान के लिए प्रचार कार्य मंगलवार की शाम ख़त्म हो गया। इन सीटों पर मतदान गुरुवार को होगा।
असम में पहले चरण में जिन 47 सीटों के लिए मतदान होना है, पिछली बार उनमें से बीजेपी ने 27 पर जीत हासिल की थी। असम गण परिषद (एजीपी) को 8, कांग्रेस को 9 और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ़) को सिर्फ दो सीटें मिली थीं।
असम विधानसभा चुनाव के पहले दौर में 47 सीटों के लिए 27 मार्च को मतदान होने जा रहा है। कुल 126 विधानसभा सीटों में से इन 47 सीटों के लिए सबसे ज़्यादा अनुमान लगाए जा रहे हैं और भविष्यवाणियाँ भी की जा रही हैं।
असम विधानसभा चुनाव 2021 के प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी जिस तरह सीएए से पीछे हट चुकी है, एक नया समीकरण बन गया है। असम के मशहूर लेखक व आलोचक हिरेन गोहाईं का इस पूरे मामले में क्या सोचना है, पढ़े यह लेख।
असम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीत सकती है और उसकी सरकार बन सकती है। एबीपी-सी वोटर चुनाव पूर्व सर्वे पर भरोसा किया जाए तो इस राज्य में बीजेपी को 65 से 73 सीटें मिल सकती हैं।
जिस नागरिकता संशोधन क़ानून (सिटीजन्स अमेडमेंट एक्ट यानी सीएए) को बीजेपी ने तमाम विरोधों के बीच संसद से पारित करवाया और देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बावजूद उससे टस से मस होने से इनकार कर दिया, असम के चुनाव घोषणापत्र में उसका ज़िक्र तक नहीं है।
असम विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस 1985 के असम समझौते और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लागू करने के अपने रुख से जूझ रहे हैं।