असम में नागरिकता क़ानून के लगातार विरोध से राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल मुश्किल में हैं। ख़ुद सोनोवाल यह बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा, 'मुझे बहिष्कृत न करें, मैं कहाँ जाऊँगा?'
विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित तथा डिटेंशन कैंप में मारे गए दुलाल चंद्र पाल के परिवार वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर आगबबूला हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है।
कारगिल युद्ध के हीरो मुहम्मद सना उल्लाह को असम के डीटेंशन कैंप यानी बंदी गृह भेज दिया गया है। उन्हें फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल ने पहले ही विदेशी घोषित कर दिया था।
नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ पूरा असम जल रहा है, पूरे राज्य में ज़ोरदार आन्दोलन चल रहा है। गुवाहाटी में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में दो आन्दोलनकारी मारे गए हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में गुवाहाटी सहित क़रीब-क़रीब पूरा असम जल रहा है, लेकिन असम के ही बराक घाटी में इसका विरोध नहीं, बल्कि स्वागत किया जा रहा है।
एनआरसी के अंतिम सूची से कोई ख़ुश है क्या? छात्र से लेकर संगठनों के नेता, बीजेपी की सहयोगी पार्टी और सरकार के मंत्री तक खफा हैं। एनआरसी लाने वाले लोग ही नाराज़ क्यों है?
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस की सूची जारी कर दी गई है और 19 लाख उससे बाहर रह गए हैं। तो क्या ये सारे लोग विदेशी हैं? और क्या यह खेल पूरे देश में दुहराया जाएगा?
जिस बीजेपी ने एनआरसी को सबसे बड़ा च़ुनावी मुद्दा बनाया था और पूरे राज्य में इसकी लहर फैला दी थी, वह अब नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस का विरोध भला क्यों कर रही है?
एनआरसी की सूची से बाहर रह गए 19 लाख लोगों के पास क्या विकल्प हैं? उनके साथ क्या सलूक किया जाएगा और वे अंत में कहाँ जाएंगे, इस पर अलग अलग तरह की बातें कही जा रही हैं।