असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के अधिकारियों ने तैयार रजिस्टर से ‘अयोग्य’ नामों को हटाने का आदेश दिया है। आशंका है कि फ़ाइनल सूची से नाम कहीं चुनिंदा तरीक़े से न हटा दिया जाएँ।
बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे विकास के मुद्दों पर आम जनता से वोट नहीं माँग सकती। चुनाव जीतने के लिए उसके पास एक ही ब्रह्मास्त्र है- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण।
असम के शिक्षा मंत्री हिमन्त विश्व शर्मा ने गुरुवार को कहा है कि असम में अगले नवंबर महीने से सरकारी सहायता से चलने वाले 614 मदरसे और 101 संस्कृत टोल (संस्कृत पाठशाला) बंद कर दिए जाएँगे।
बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में एआईयूडीएफ़ ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने पर सहमति जताई है।
असम के धुबड़ी ज़िले में एक विदेशी ट्रिब्यूनल (एफ़टी) में सात मुसलिम असिस्टेंट गवर्नमेंट प्लीडर (एजीपी) को हटाकर जिस तरह हिंदू समुदाय के सात अधिवक्ताओं को नियुक्त किया गया है, उसकी तीव्र आलोचना हो रही है।
आसू और एजेवाईसीपी ने कहा है कि भारतीय संविधान के ढांचे के अंतर्गत और देश के संघीय ढांचे के अनुरूप नई पार्टी की मुख्य मार्गदर्शक विचारधारा असम पहले, हमेशा और हमेशा होगी।
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची से बाहर किए गए लोगों को अस्वीकृति पर्ची जारी करने की प्रक्रिया को कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण स्थगित कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने असम के डिटेंशन कैंपों में भीड़भाड़ पर विचार करने के लिए और कोविड -19 के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक दूरी के महत्व को रेखांकित किया है।