असम को सांप्रदायिक सौहार्द्र वाला राज्य माना जाता है और इस राज्य में सर्व धर्म समभाव की लंबी परंपरा रही है। असम में भूमि और जातीय पहचान को लेकर समय-समय पर भले ही हिंसक संघर्ष होते रहे हैं, लेकिन सांप्रदायिक आधार पर संघर्ष का कोई इतिहास नहीं रहा है।
अस्सी के दशक में हुए नेल्ली नरसंहार के पीछे भी दक्षिणपंथियों का हाथ था, जब भारी संख्या में अल्पसंख्यकों की हत्या की गई थी। जिस समय बाबरी मसजिद को ध्वस्त किया गया था, उस समय भी असम में कोई हिंसक तनाव नहीं देखा गया था।
असम में जब से उग्र हिन्दुत्व का प्रचार-प्रसार शुरू किया गया और 'बांग्लादेशी मुसलमानों' के नाम पर सभी मुसलमानों के ख़िलाफ़ स्थानीय हिंदुओं की भावना को भड़काने का खेल शुरू हुआ, तब से रह-रह कर तनाव भड़कता रहता है। इसकी एक बानगी बुधवार को देखने को मिली।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद असम में अचानक सांप्रदायिक झड़पों की घटनाएं शुरू हो गईं। 2015 में राज्य में इस तरह की 70 घटनाएं हुईं।
इसी उग्र हिन्दुत्व की राजनीति को ईंधन बनाकर बीजेपी ने असम के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। राज्य में गोमांस को मुद्दा बनाकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू हुआ और उसके बाद एनआरसी की प्रक्रिया के जरिये मुसलमानों का दमन किया गया।
बुधवार रात की सांप्रदायिक हिंसा की घटना के बाद असम के सोनितपुर जिले के कुछ हिस्सों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह का जश्न मनाने के लिए निकाली गई बाइक रैली के दौरान यह हिंसा भड़की। सवाल उठ रहे हैं कि जिस समय असम में कठोर लॉकडाउन के नियम के चलते पांच से अधिक लोग सार्वजनिक स्थान पर एकत्रित नहीं हो सकते, उस समय राम मंदिर के शिलान्यास का जश्न मनाने की अनुमति इन कार्यकर्ताओं को कैसे मिल गई?
बुधवार को थेलामारा-सुतीपहाड़ (भोरा सिंगरी) क्षेत्र में हुई हिंसक झड़पों के बाद सोनितपुर जिले के थेलामारा और ढेकियाजुली पुलिस थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया। सोनितपुर के डिप्टी कमिश्नर मानवेंद्र प्रताप सिंह का वाहन भी बुधवार की शाम को थेलामारा पुलिस थाने के तहत गरुडुबा में झड़प के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। डिप्टी कमिश्नर सिंह ने कहा कि 50 बाइकर्स एक ऐसे क्षेत्र के एक मंदिर में गए थे, जहां एक विशेष समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं।
डिप्टी कमिश्नर ने कहा, “मुझे बताया गया था कि बाइकर्स और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हुई थी। इसका एक कारण यह हो सकता है कि बाइकर्स जोर से संगीत बजा रहे थे। हिंसा के दौरान दोनों पक्षों के वाहनों को आग लगा दी गई थी।”
उन्होंने कहा कि भीड़ ने उनके वाहन और एस्कॉर्ट वाहनों पर पथराव किया। अशांति के दौरान पुलिस ने कुछ लोगों को बंदी बना लिया। डीएम ने कहा कि बाइकर्स ने रैली के लिए अनुमति नहीं ली थी।
रैली पर हुआ हमला
राम मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर बजरंग दल, रामसेना और विश्व हिंदू परिषद की ढेकियाजुली इकाई द्वारा बुधवार को निकाली गई रैली पर स्थानीय लोगों द्वारा हमला किए जाने के बाद थेलामारा पुलिस स्टेशन के तहत थेलामारा-सुतीपहाड़ (भोरा सिंगरी) क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण हो गया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) नुमल महत्ता ने कहा, "पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज के बाद हवा में दस राउंड गोलियां चलाई।" झड़प में कम से कम 12 लोग घायल हो गए। यह रैली बरचला क्षेत्र में निकाली गई और फिर एक पहाड़ी में स्थित गौरी मंदिर की ओर बढ़ी, जिसे सुतीपहाड़ के नाम से जाना जाता है। रैली में शामिल लोग अपने दिन भर के कार्यक्रम के समापन के अवसर पर पूजा करने के लिए वहां जा रहे थे।
उसी समय स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने रैली में शामिल लोगों पर हथियारों से हमला किया। हमलावरों ने कई लोगों को लंबे समय तक बंदी बनाकर रखा और 12 मोटरबाइक और एक टाटा मैजिक को आग लगा दी। इस तरह घटना ने एक सांप्रदायिक मोड़ ले लिया।
डिप्टी कमिश्नर ने कहा, "यह दोनों पक्षों के बीच सांप्रदायिक झड़प थी।" सूचना मिलने पर पुलिस और सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे और बंदी सदस्यों को बचाया।
धारा 144 लागू
सोनितपुर, डीसी जिला मुख्यालय से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ स्थिति का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन कुछ उपद्रवियों द्वारा डीसी के वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। डिप्टी कमिश्नर ने सभी से शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने का आग्रह किया है। थेलामारा और ढेकियाजुली पुलिस थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों में धारा 144 लागू करते हुए डीसी ने कहा कि यह कदम "क़ानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण" उठाया गया है।
आदेश में कहा गया है, "अलग-अलग समूह विरोध के नाम पर हिंसा में लिप्त होने की कोशिश कर रहे हैं और वर्तमान घटनाओं को देखते हुए मानव जीवन और संपत्तियों को गंभीर खतरे की आशंका है।" उन्होंने आदेश दिया कि "कोई भी, जिसे विशेष परमिट नहीं मिला है, घर से निकल कर सार्वजनिक रूप से घूम नहीं पाएगा।"
दोषियों के ख़िलाफ़ हो कार्रवाई
इस बीच पूर्वोत्तर अल्पसंख्यक छात्र संघ ने इस घटना की निंदा की है। संगठन ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि बजरंग दल, राम सेना और अन्य समूहों के सदस्य कैसे रैली निकाल सकते हैं जबकि कोविड-19 महामारी के कारण कई तरह के प्रतिबंध पहले से लागू हैं। छात्रों के संगठन ने दोषियों के ख़िलाफ़ क़ानून के अनुसार क़दम उठाने और घटना की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है।
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