हिमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। सरमा राज्य के 15 वें मुख्यमंत्री हैं। शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को घोषणा की थी कि हिमंत को असम बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है। तोमर गुवाहाटी में बीजेपी विधायक दल की बैठक के बाद बोल रहे थे। हिमंत बिस्व सरमा सर्बानंद सोनोवाल की जगह लेंगे। 52 साल के सरमा ने रविवार शाम को राज्यपाल जगदीश मुखी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। रविवार को ही सोनोवाल ने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था।
असम के चुनाव परिणाम के एक हफ़्ते बाद तक भी मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा इसलिए नहीं हो पा रही थी क्योंकि इस मामले में सहमति नहीं बन पा रही थी। बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे। पहले दावेदार सर्बानंद सोनोवाल और दूसरे हिमंत बिस्व सरमा। लेकिन आलाकमान ने आख़िरकार हिमंत बिस्व सरमा के नाम पर मुहर लगाई।
दो मई को घोषित चुनाव नतीजों में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिला। 126 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी वाले गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद से ही इस पर कयास लगाए जा रहे थे कि हिमंत बिस्व सरमा मुख्यमंत्री की रेस में आगे हैं।
हिमंत बिस्व सरमा 2015 में बीजेपी में शामिल हुए थे। तब वह कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार को छोड़कर बीजेपी में आए थे। 2016 के चुनाव में बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया था। तब कहा गया था कि सरमा पार्टी में नए थे।
सरमा ने अगले कुछ वर्षों में अपनी योग्यता साबित की, क्योंकि उन्होंने बीजेपी को पूर्वोत्तर में विस्तार करने और अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में सरकार बनाने में मदद की।
इस साल चुनाव में बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। असम में चुनावों की शुरुआत से पहले सरमा ने राज्य में संभावित नेतृत्व परिवर्तन का संकेत दिया था। हालाँकि तब भी उन्होंने यह कहा था कि इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़ैसला करेंगे। अब हिमंत बिस्व सरमा के नाम पर मुहर लगने से पहले बीजेपी आलाकमान ने खूब माथापच्ची की। सोनोवाल और सरमा को दिल्ली में भी बुलाया गया। शीर्ष नेतृत्व में कई दौर की बातचीत चली। इसके बाद अब फ़ैसला हुआ है।
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