क्या है मामला?
असम के किसान नेता और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अखिल गोगोई को पिछले साल एनआईए ने हिंसक प्रदर्शन में कथित भूमिका के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था।यूएपीए लगाया
एनआईए ने अखिल गोगोई को ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत हिरासत में लिया था। उनके संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और उसके छात्र विंग के तीन सदस्यों को भी गिरफ़्तार किया गया और उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया।“
‘आखिल गोगोई को लंबे समय तक जेल में रखा गया तो उनके संक्रमित होने का ख़तरा है। वह पहले से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे हैं और उनको इलाज की ज़रूरत है।’
मुकुट डेका, संयुक्त सचिव, कृषक मुक्ति संग्राम समिति
सोशल मीडिया अभियान
अखिल गोगोई अनुरागी मंच असम (फैन क्लब) ने गोगोई की रिहाई के लिए फ़ेसबुक और ट्विटर अभियान शुरू किया है। समूह ने लोगों से अपील की है कि वे जेल में बंद कार्यकर्ता के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में दो वाक्य लिखें।मुख्यमंत्री को ख़त
असम के लेखकों ने 12 जुलाई को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक खुला पत्र लिखकर अखिल गोगोई और अन्य कार्यकर्ताओं के लिए उचित चिकित्सा की माँग की, जो कोरोना संक्रमित हैं और अस्पतालों में भर्ती हैं।सौ से अधिक लेखकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और उन सभी राजनीतिक क़ैदियों की रिहाई की माँग की है, जिन्हें पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के दौरान गिरफ़्तार किया गया था।
क्या लिखा है चिट्ठी में?
मुख्यमंत्री को लिखे ख़त मेें कहा गया है, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि लोगों के आंदोलन और अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही गोगोई और उनके साथियों का कोविड-19 परीक्षण किया गया, नागरिक चिंतित हैं कि कहीं राजनीतिक कैदियों के मानवाधिकारों को नज़रअंदाज़ तो नहीं किया जा रहा है।’सीएए का विरोध
ग़ौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में अखिल गोगोई की गिरफ़्तारी के बाद ही पूरे देश में सीएए के खिलाफ आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा था। वर्ष 2018 के 7 मई को नागरिकता संशोधन विधेयक की सुनवाई के लिए बीजेपी सांसद राजेंद्र अगरवाला के नेतृत्व में जेपीसी की टीम असम आई थी, तब अखिल गोगोई ने जेपीसी के प्रतिनिधियों से लंबी बहस की थी।अखिल गोगोई ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही समान रूप से नापसंद करती हैं। कभी पुराने तो कभी नए आरोप में अखिल को समय-समय पर जेल भेजा जाता रहा है।
आन्दोलन का इतिहास
अखिल की राजनीति से सरोकार न रखने वाले मध्यवर्ग ने भी वर्ष 2010 में बांध विरोधी आंदोलन के दौरान अखिल के साथ मिलकर कई विशाल रैलियों में भागीदारी की थी।छात्र आन्दोलन
अखिल गोगोई की पत्नी गीताश्री और पूर्व सहयोगी बताते हैं कि किसान नेता के रूप में अखिल का उभरना यकायक हुआ। अखिल हमेशा छात्र नेता बनना चाहते थे। उन्होंने गुवाहाटी स्थित जज़ेज फ़ील्ड में एक विशाल सम्मेलन के आयोजन का सपना देखा था, जहाँ से एक नए क्रांतिकारी छात्र संघ का जन्म होता। मगर वह सम्मेलन कभी नहीं हुआ।अखिल ने सांस्कृतिक मार्ग चुना और ज्योति प्रसाद अगरवाला की जन्म शताब्दी मनाने का फैसला किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कॉटन कॉलेज के सुदमर्शन हॉल में किया गया था, इसमें भूपेन हजारिका शामिल हुए थे।
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