सीएए का विरोध
असम में मूल निवासी अपनी पहचान खोने और आबादी में होने वाले बदलाव की आशंका को देखते हुए सीएए का विरोध करते रहे हैं। अखिल गोगोई की अगुआई में ही पिछले साल नवंबर में प्रबल विरोध प्रदर्शन समूचे असम में शुरू हुआ था। विरोध की चिंगारी निकली थी वह समूचे देश में फैलती चली गई थी। असम में बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ आक्रोश का वातावरण निर्मित हो गया था और दमन की नीति अपनाते हुए सरकार ने अखिल गोगोई को हिंसा भड़काने का आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया था।सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही बीजेपी को इस तरह पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में हिन्दू वोट बैंक मजबूत होने का लाभ दिखाई दे रहा है। असम के मंत्री हिमन्त बिस्व सर्मा खुलकर कहते रहे हैं कि इस विधेयक के लागू होने पर असम मुसलिम बहुल राज्य बनने से बच जाएगा और हिंदुओं का वर्चस्व कायम हो सकेगा।
सांप्रदायिक नज़रिया
बीजेपी भले ही घुसपैठ की समस्या को धार्मिक नजरिए से देखती है, लेकिन असम के नागरिक इस समस्या को धार्मिक नजरिए से नहीं देखते। उनका मानना है कि घुसपैठिए हिन्दू हों या मुसलिम, उनको निकाला जाना चाहिए। असम की जनता बंग्लाभाषी घुसपैठियों को अपनी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के लिए ख़तरा मानती है।एएनआई का आरोप
एनआईए के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि गोगोई सीपीआई (माओवादी) द्वारा रची गई बड़ी साजिश से जुड़े हुए हैं, जो एक अभियुक्त संगठन है, जिसके साथ अखिल गोगोई और अन्य आरोपी व्यक्तियों ने जानबूझकर साजिश रची थी, और आतंकवादी गतिविधियों को उकसाने के लिए तैयारी की थी। एनआईए ने तर्क दिया,“
'अभियुक्त अखिल गोगोई और अन्य लोगों ने माओवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने और विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव को नष्ट करने के लिए शत्रुता को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने का इस्तेमाल किया है, जिससे राज्य की सुरक्षा और संप्रभुता खतरे में है।'
एएनआई
क्या कहना है केएमएसएस का?
केएमएसएस के संयुक्त सचिव मुकुट डेका का कहना है, 'हम सीएए को कभी स्वीकार नहीं करेंगे है और इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को असम के साथ-साथ देश की सत्ता से भी हटाना होगा। लड़ाई जारी रहेगी। बीजेपी को पता है कि अगर अखिल गोगोई जेल से बाहर आते हैं तो उसकी चुनावी जीत मुश्किल हो जाएगी। एनआईए की निचली अदालत पर गोगोई को जमानत नहीं देने के लिए दबाव डाला गया है।'इससे पहले, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 16 जुलाई, 2020 को चबुआ थाने में दर्ज तीन मामलों में अखिल गोगोई को जमानत दी थी।
अखिल गोगोई का कोरोना पॉजिटिव टेस्ट होने के बाद गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) में इलाज चल रहा है।
अखिल गोगोई को 12 दिसंबर 2019 को जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें 10 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में दिल्ली भेज दिया गया था। दिल्ली से वापस लाकर उनको 26 दिसंबर से गुवाहाटी सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया।
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