संघ परिवार बीजेपी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए जनभावनाएँ उभारने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस बार उसके निशाने पर कांग्रेस के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट भी है।
हल्दी-चावल के ज़रिए विश्व हिन्दू परिषद हर गाँव तक पहुँचना चाहती है ताकि हिन्दुत्व के नाम पर वैसा ही वातावरण बनाया जाए जैसा 1983 में कलश यात्रा के दौरान हुआ था।
पहले भी सरकारों और रिजर्व बैंक के बीच रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं। सवाल यह है कि क्या गवर्नर को सरकार की जी-हुज़ूरी करनी चाहिए या अपनी राय मजबूती से रखनी चाहिए?
कांग्रेस ने भंवरी देवी हत्याकांड के दो अभियुक्तों के परिजनों को चुनाव का टिकट देकर मुसीबत खड़ी कर ली है। क्या राहुल इन उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे?
मोदी ने बीफ़ पर मध्य प्रदेश में कांग्रेस से सवाल कर उसे कटघरे में खड़ा करने की कोेशिश की, पर इस पर ख़ुद उनकी पार्टी का गोवा और पूर्वोत्तर में क्या स्टैंड है?
मराठाओं को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को यदि 68 फ़ीसदी आरक्षण देने की छूट मिल गई तो क्या दूसरे राज्य भी 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आरक्षण नहीं माँगने लगेंगे?
रोहिंग्या मामले और मानवाधिकार हनन के दूसरे मुद्दों पर सरकार और सेना का बचाव करने से विश्व समुदाय आंग सान सू ची से निराश है। आख़िर सू ची ऐसा क्यों कर रही हैं?
एक छोटे-मोटे झगड़े के बाद आसिया बीबी पर ईशनिन्दा का आरोप लगा और उन्हें मौत की सज़ा सुना दी गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सज़ा रद्द कर उन्हें रिहा कर दिया।
बीजेपी और मोदी एक ऐसा भ्रम फैलाना चाहते हैं जिससे लगे कि कांग्रेस ने सरदार पटेल की उपेक्षा की और उनके विचार आरएसएस से मिलते थे। पर इतिहास इसकी गवाही नहीं देता।
सुप्रीम कोर्ट ने राम मन्दिर-बाबरी मसज़िद विवाद पर जनवरी तक के लिए सुनवाई टाल दी है पर क्या इसपर राजनीति भी फ़िलहाल टल जाएगी? टोह ले रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।