‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फ़िल्म का एक मात्र मक़सद यह बताना लगता है कि 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सरकार चला रहे थे।
कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने और मुसलमानोंं को संकेत देने के लिए यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का एलान आनन फानन में कर दिया, पर वह छोटे दलो के लिए दरवाजा खुला रखना चाहती है।
युवाओं को तरजीह देने की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी 80 साल के बुजुर्ग को सामने लाकर क्या संकेत दे रही है? क्या वह बीजेपी को टक्कर देने की तैयारियाँ शुरु कर रही है?
10% आरक्षण वाले बिल के बारे में कहा जा रहा है कि यह मोदी सरकार का सवर्णों, ख़ासकर ग़रीब सवर्णों को एक तोहफ़ा है। लेकिन क्या इसका लाभ केवल ग़रीब सवर्णों को मिलेगा?
मोदी सरकार के 'ग़रीब सवर्ण' आरक्षण पर चर्चा गरम है। मंगलवार को लोकसभा में विधेयक पेश कर दिया गया। पर सवाल यह है कि क्या इसका फ़ायदा उनको मिलेगा जिनको ध्यान में रखकर यह किया गया है।
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सरकार की घोषणा के राजनीतिक परिणामों का आकलन लगाना ज़रूरी है। सरकार का यह फ़ैसला एक चुनावी फ़ैसला ही नज़र आ रहा है।
कैबिनेट ने फ़ैसला लिया है कि देश में आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों को भी 10 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन अफ़सोस,सरकार इस चुनावी शिग़ूफ़े का फ़ायदा नहीं उठा पाएगी!
नरेंद्र मोदी के मेत्री नितिन गडकरी बार-बार उन पर अपरोक्ष हमले कर रहे हैं। वे उनके ख़िलाफ़ वाक़ई बग़ावत पर आमादा हैं या चुनाव के पहले अपनी पोजिशनिंग कर रहे हैं?
राम मंदिर पर संघ और मोदी की सोच अलग है। पीएम नहीं चाहते कि चुनाव में मंदिर मुख्य मुद्दा बने। इसलिए वह कोर्ट के फ़ैसले से पहले किसी तरह का क़दम नहीं उठाना चाहते।
नरेंद्र मोदी के डेढ़ घंटे के इंटरव्यू में उठाए गए तमाम मुद्दों का जवाब आधे घंटे के प्रेस कॉन्फ्रेंस में देकर राहुल ने प्रधानमंत्री को बैकफ़ुट पर धकेल दिया है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर पर अध्यादेश नहीं लाने की बात कही है क्योंकि उन्हें पता है कि राम मंदिर मुद्दे के दम पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है।
हिंदू धर्म में हुए भेदभाव के ख़िलाफ़ दलित अब मुखर होकर आवाज़ उठा रहा है। दलित अब अन्याय होने पर चुप नहीं रहना चाहता और इसका मुहँतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।