चंदा कोचर पर एफ़आईआर दर्ज़ होने के मामले में सीबीआई के एसपी सुधांशु धर मिश्रा को शाबाशी मिलने के बजाय जेटली की फटकार मिली और फिर उनका तबादला कर दिया गया।
प्रियंका का कांग्रेस महासचिव बनना कोई अचरज की बात नहीं, पर इससे यह सवाल भी उठता है कि कांग्रेस आख़िर क्यों वंशवाद की राजनीति से बाहर नहीं निकल पा रही है।
कभी सोनिया गाँधी के विदेशी मूल को बड़ा मुद्दा बना कर कांग्रेस छोड़ने वाले शरद पवार इन दिनों सोनिया और राहुल की तारीफ़ करते हैं और नरेंद्र मोदी को खरी-खोटी सुनाते हैं।
रफ़ाल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ ने इस ख़बर का खंडन किया है कि फ्रांस की सरकार से 2.2 अरब यूरो में 28 जहाज़ के लिए फ्रांसीसी सरकार से क़रार हुआ है। पर भारत में इससे मामला और उलझ गया है।
‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फ़िल्म का एक मात्र मक़सद यह बताना लगता है कि 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सरकार चला रहे थे।
कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने और मुसलमानोंं को संकेत देने के लिए यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का एलान आनन फानन में कर दिया, पर वह छोटे दलो के लिए दरवाजा खुला रखना चाहती है।
युवाओं को तरजीह देने की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी 80 साल के बुजुर्ग को सामने लाकर क्या संकेत दे रही है? क्या वह बीजेपी को टक्कर देने की तैयारियाँ शुरु कर रही है?
10% आरक्षण वाले बिल के बारे में कहा जा रहा है कि यह मोदी सरकार का सवर्णों, ख़ासकर ग़रीब सवर्णों को एक तोहफ़ा है। लेकिन क्या इसका लाभ केवल ग़रीब सवर्णों को मिलेगा?
मोदी सरकार के 'ग़रीब सवर्ण' आरक्षण पर चर्चा गरम है। मंगलवार को लोकसभा में विधेयक पेश कर दिया गया। पर सवाल यह है कि क्या इसका फ़ायदा उनको मिलेगा जिनको ध्यान में रखकर यह किया गया है।
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की सरकार की घोषणा के राजनीतिक परिणामों का आकलन लगाना ज़रूरी है। सरकार का यह फ़ैसला एक चुनावी फ़ैसला ही नज़र आ रहा है।
कैबिनेट ने फ़ैसला लिया है कि देश में आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों को भी 10 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन अफ़सोस,सरकार इस चुनावी शिग़ूफ़े का फ़ायदा नहीं उठा पाएगी!