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मेरठ- सड़क पर नमाज पढ़ी तो पासपोर्ट-लाइसेंस होंगे रद्द! ये कैसा फरमान!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चल रहे हैं उत्तर तो योगी जी चल रहे हैं दक्षिण। मोदी जी मुसलमान परिवारों को खुश करने के लिए सौगात ए मोदी बाँट रहे हैं। वहीं योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में मामला एकदम उल्टा है। उत्तर प्रदेश में ईद के मौके पर लगातार तानाशाही फरमान ज़ारी किये जा रहे हैं। सबसे हालिया मामला मेरठ का है जहां ईद के पवित्र मौके पर भी रंग में भंग घोलने में योगी जी की सरकार ने कोई कोताही नहीं बरती है।

मेरठ की पुलिस ने ईद-उल-फितर और रमज़ान के आखिरी शुक्रवार की अलविदा जुमा नमाज़ से पहले नमाज़ को लेकर एक सख्त चेतावनी जारी की है। पुलिस का कहना है कि अगर किसी ने इस दौरान सड़क पर नमाज़ अता की तो उनके खिलाफ़ गंभीर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मेरठ पुलिस ने यह भी धमकी दी है कि जो भी लोग ऐसा करते हुए पकड़े गये उनके पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द हो सकते हैं।

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मेरठ के पुलिस सुपरिटेंडेंट आयुष विक्रम सिंह का निर्देश आया है कि नमाज़ केवल स्थानीय मस्जिदों या फिर पहले से तयशुदा ईदगाहों में ही अता की जाए। सड़कों पर नमाज़ अता करने से साफ मना किया गया है। 

गौरतलब है कि सड़क पर नमाज़ अता करने को योगी सरकार और उत्तर प्रदेश की मेरठ पुलिस ने इतना गम्भीर मामला बना दिया है कि इसके लिए प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवान भी तैनात किए गए हैं। जिन भी इलाक़ों को संवेदनशील चिह्नित किया गया है वहाँ फ्लैग मार्च किए जा रहे हैं। 

क्या नमाज़ पढ़ना एक संगीन अपराध है? 

यहाँ एक सवाल यह उठता है कि क्या सड़क पर नमाज़ पढ़ना इतना बड़ा जुर्म है कि उस पर पासपोर्ट कैंसल हो जाए? इसके लिए यह जानना ज़रूरी होगा कि भारतीय कानून में किन वजहों से पासपोर्ट कैंसल किया जा सकता है। 

भारतीय क़ानून के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होते हैं, तो संबंधित प्राधिकरण उसके पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत, पासपोर्ट प्राधिकरण को यह अधिकार ज़रूर है कि वह किसी व्यक्ति का पासपोर्ट रद्द या निलंबित कर सकता है। 

पासपोर्ट का निलंबन ऐसे ही नहीं किया जा सकता है। यह तभी संभव है जब वह व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक हित के खिलाफ काम करता है।

ठीक इसी तरह ड्राइविंग लाइसेंस को कैंसल करने के भी अपने नियम हैं। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के मुताबिक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय यानी RTO ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द या निलंबित कर सकता है। इसके लिए कुछ शर्तें हैं। अगर लाइसेंसधारी यातायात नियमों का गंभीर उल्लंघन करता है या उसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं तो उसके लाइसेंस को कैंसल किया जा सकता है। दोनों ही मामलों में ‘अपराधी’ होना आवश्यक शर्त है। नमाज़ पढ़ने को क्यों इसमें शामिल किया जा रहा है? 

गौरतलब है कि इससे पहले संभल में भी ऐसा ही एक आदेश आया था। वहाँ भी सड़क पर नमाज़ पढ़ने से रोक लगाई गई है। वहाँ पहले छत पर भी नमाज़ पढ़ने से साफ मना कर दिया गया था। बाद में कहा गया कि छत पर नमाज़ पढ़ने के लिए पहले जांच होगी फिर आदेश मिलेगा।

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ऐसे समय में जब मोदी जी 32 लाख मुस्लिम परिवारों को सौग़ात ए मोदी बाँट रहे हैं। तोहफ़े में मीठा, सेवई, कपड़े, ड्राई फ्रूट्स और खजूर शामिल हैं। लोगों ने इसे भाजपा की ओर से एक अच्छी शुरुआत बताया। अभी बात शुरू ही हुई थी कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में एकदम उलटी बयार बहने लगी। 

ईद की मिठास को कड़वा करने की तमाम कोशिशें होने लगीं। वैसे इस मामले में योगी आदित्यनाथ अकेले भाजपाई मुख्यमंत्री नहीं हैं। दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुछ क़दम और आगे निकलते हुए त्योहार की कंपलसरी गैजेटेड छुट्टी ही कैंसल कर दी। इस छुट्टी को रीस्ट्रिक्टिड हॉलिडे में बदल दिया। इसका अर्थ है कि हर किसी को छुट्टी नहीं मिलेगी, जो आवेदन करेगा केवल उसे ही मिलेगी। 

यहाँ काबिले जिक्र है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है। संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार यहाँ सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इसके तहत अगर प्रशासन यातायात या सुरक्षा कारण दिखा कर कोई नियम लागू कर रहा है तो वह नियम उन्हें सभी धर्मों के मामले में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो प्रशासन की नीयत पर बड़े सवाल खड़े हो जाते हैं। यहाँ सवाल भाजपा के मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और नायब सिंह सैनी की नीयत पर है। 

(रिपोर्ट: अणु शक्ति सिंह)
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क़मर वहीद नक़वी
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