10% आरक्षण वाले बिल के बारे में मीडिया में कहा जा रहा है कि यह मोदी सरकार का सवर्णों, ख़ासकर ग़रीब सवर्णों को एक तोहफ़ा है। लेकिन क्या यह आरक्षण केवल ग़रीब सवर्णों के लिए है या दूसरे धर्मों के लोग भी इसमें आवेदन कर सकेंगे? मैं यहाँ इस पूरे मामले को समझने और समझाने की कोशिश करूँगा और उन भ्रमों को भी दूर करने की कोशिश करूँगा जो मीडिया ने पैदा किए हैं। सबसे पहला और सबसे बड़ा भ्रम -
- क्या यह सवर्ण आरक्षण है?
- आरक्षित वर्ग में तो ईसाई और मुसलमान भी नहीं आते हैं तो क्या वे भी इस 10% आरक्षण में हिस्सेदार हो सकते हैं?
- यदि यह जनरल कैटिगरी की ही तरह है जिसमें सवर्णों के साथ-साथ मुसलमान और ईसाई भी आवेदन कर सकते हैं तो अलग से इस आरक्षण का क्या मतलब?
- यानी हम कह सकते हैं कि यह 10% आरक्षण उन ग़रीबों के लिए है जिनको आरक्षण नहीं मिला हुआ था और इस वजह से जो नौकरियों में नहीं आ पाते थे या शिक्षा नहीं हासिल कर पाते थे?
- आप कह रहे हैं कि जो पहले ही सरकारी नौकरियों में चुनकर आ रहे थे या शिक्षा संस्थानों में दाख़िला पा रहे थे, उन्हीं को इस 10% आरक्षण का लाभ दिया गया है तो फिर यह किया क्यों गया? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा। बहुत कन्फ़्यूज़न है। ज़रा आसान तरीक़े से बताइए।
- अब समझ में आ रहा है कुछ-कुछ। यानी परिवार-ख के बच्चे अब से केवल जग से पानी पीएँगे जो उनके लिए अलग से रख दिया गया है? लेकिन यदि पानी कम पड़ गया तो?
- बच्चे जग से भी पानी पी सकते हैं, मटका-ख से भी पानी पी सकते हैं तो फिर उनके लिए अलग से जग रखा ही क्यों गया?
- अच्छा, अब एक आख़िरी सवाल। यह जो जग का पानी है, उसे कितनी साल तक के बच्चे पी सकते हैं? क्या उनकी कोई उम्र निर्धारित की गई है?
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