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हार्दिक के 'जनरल डायर' ही अब उनके 'आदर्श' कैसे हो गए?

हार्दिक पटेल ने आज जब बीजेपी में नयी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की तो गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ़ें कर रहे हैं। 7 साल पहले जब वह पाटीदार अनामत आंदोलन में अपनी नयी पारी खेल रहे थे तो उन्हीं अमित शाह को जनरल डायर कहा करते थे। जनरल डायर एक ब्रिटिश सेनाधिकारी था जिसने 1919 में जलियांवाला बाग में हज़ारों की भीड़ पर गोलियाँ चलवा दी थीं और इसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।

हार्दिक पटेल जब अमित शाह की तुलना जनरल डायर से करते थे तब वह पाटीदार आरक्षण आंदोलन चला रहे थे। साल 2015 था। विसनगर में एक रैली के दौरान बीजेपी विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ हुई थी। यही वह समय था जब हार्दिक पटेल का नाम चर्चा में आया था। लेकिन वह देश भर में चर्चा में तब आए जब उन्होंने सूरत में एक रैली की और उसमें लाखों लोग जुटे। यहीं से उनका नया सफर शुरू हुआ था। फिर उसी साल अगस्त में अहमदाबाद के जीएमसीडी ग्राउंड में एक रैली हुई। दावा किया जाता है कि उसमें लाखों लोग शामिल थे। तभी रात में वहाँ पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद पूरे गुजरात में हिंसा हुई। उसमें पाटीदार समाज के 14 युवकों की मौत हुई। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। हार्दिक पटेल समेत कई लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चला। 

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इस घटना के बाद पाटीदार समाज बीजेपी से दूर होता गया। और हार्दिक पटेल इन घटनाक्रमों की वजह से काफ़ी तेज़ी से सियासत की सीढ़ियाँ चढ़ते गए। कहा जा सकता है कि हार्दिक पटेल 2014-15 में जब मामूली चर्चा में आना शुरू हुए थे तब उनके सार्वजनिक जीवन का आगाज हुआ था। हार्दिक तब पाटीदार संगठन सरदार पटेल ग्रुप से जुड़े थे। इस ग्रुप ने ही आगे चलकर पाटीदार आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया। 2014-15 के दौरान और उसके बाद भी आंदोलन की उनकी गतिविधियों को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने उनपर कई मुक़दमे लादे।

हार्दिक के ख़िलाफ़ 2015 से 2018 के बीच कम से कम 30 एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन कई मुक़दमों को या तो राज्य सरकार द्वारा वापस ले लिया गया है या फिर गुजरात हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया है, या कोई कार्यवाही ही शुरू नहीं हुई है। हालाँकि एक रिपोर्ट के अनुसार हार्दिक के ख़िलाफ़ अभी भी कम से कम 11 मुक़दमे चल रहे हैं। दो मुक़दमे तो देशद्रोह से जुड़े हैं।

तेजी से आगे बढ़े राजनीति में

पाटीदार आंदोलन से चर्चा में आए हार्दिक पटेल की वास्तविक राजनीतिक पारी 2019 में शुरू हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हार्दिक कांग्रेस में शामिल हो गए। हालाँकि इसकी ज़मीन 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही तैयार होने लगी थी जब हार्दिक और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुलाक़ात हुई थी। लेकिन तब तक वह सक्रिय राजनीति से दूर ही थे। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हार्दिक सक्रिय रूप से राजनीति में आ गए। कांग्रेस ने 2020 में सबसे कम उम्र का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उनको बड़ी ज़िम्मेदारी सौंप दी। 

कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी पर उनका हमला पहले की तरह ही जारी रहा, बल्कि वह पहले से कहीं ज़्यादा तीखा हमला करने लगे थे।

2016 से लेकर 2021 तक उन्होंने कई ऐसे बयान दिए थे। 'भाजपा से बदला लेने का समय', 'मोदी प्रचार मंत्री हैं', 'मोदी कौन हैं?' जैसी टिप्पणियाँ उन्होंने की थीं। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं को लेकर एक बयान में तो हार्दिक पटेल ने कहा था कि बीजेपी ऐसी वॉशिंग मशीन है जिसमें नेता पर लगे कैसे भी दाग धुल जाते हैं।

अब जब हार्दिक पटेल बीजेपी में शामिल हो गए हैं तो उनके ऐसे ही बयानों को सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है और पूछा जा रहा है कि आख़िर हार्दिक में ये परिवर्तन कैसे हो गए?

ट्विटर पर 2017 में अमित शाह पर तंज कसते हुए हार्दिक पटेल ने कहा था, 'बीजेपी में सही लोगों को सम्मान नहीं दिया जाता, लेकिन जो लोग अमित शाह के पैरों की जूती बनकर रहते हैं उनको आगे किया जाता है।'

hardik patel joins bjp amid amit shah general dyer comment trends - Satya Hindi
उन्होंने जनवरी 2017 में आरएसएस पर भी हमला किया था। हार्दिक ने कहा था, 'आरएसएस देश को अपना ज्ञान क्यों बाँट रहा है। नागपुर से बैठे-बैठे देश को चला रहे हैं ऐसा भ्रम है आरएसएस को। संविधान बड़ा या आरएसएस।'

हार्दिक पटेल ने अक्टूबर 2018 में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था, 'हिंदू मुसलिम का चश्मा उतर कर देखो तो बीजेपी आपको बिलकुल नंगी और बेशर्म नजर आएगी।'

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एक ट्वीट में उन्होंने कहा था, 'हार-जीत के कारण पाले व्यापारी बदलते हैं, विचारधारा के अनुयायी नहीं। लड़ूंगा, जीतूंगा और मरते दम तक कांग्रेस में रहूँगा।'

एक ट्वीट में उन्होंने कहा था, 'जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि जनता से द्रोह कर अपने स्वार्थ के लिए पार्टी बदलते हैं तब ऐसे स्वार्थी नेताओं को चौराहे पर खड़ा कर चप्पलों से पिटना चाहिए।'

हार्दिक पटेल के 2016 के एक ट्वीट के स्क्रीनशॉट को एक यूज़र ने साझा किया है जिसमें लिखा है, 'अगर सुबह का देशद्रोही, शाम को बीजेपी में जुड़ जाए तो उसे देशभक्त कहते हैं!'

बहरहाल, हार्दिक की भाषा अब बीजेपी में शामिल होने के बाद बदल गई है। पाटीदार आंदोलन के दौरान तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को हार्दिक जनरल डायर बोला करते थे, लेकिन वह अब उनकी तारीफ़ करते हैं। वह अमित शाह को जनरल डायर क्यों कहते थे? इस सवाल के जवाब में कुछ दिन पहले ही एबीपी न्यूज से इंटरव्यू में हार्दिक ने कहा कि 'तब वो गृह मंत्री नहीं थे, बल्कि पार्टी के अध्यक्ष थे। गृह मंत्री बनने के बाद जब उन्होंने अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर फ़ैसले लिए तो इन फ़ैसलों ने मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रभावित किया है.... मेरे तेवर बदल गए।'

साक्षात्कार में हार्दिक से पूछा गया कि आपने एक सार्वजनिक सभा में कहा था कि बीजेपी को ज्वाइन करना मतलब खुद को शर्मसार करना है, तो आप अपने रवैये पर कायम हैं या फिर तेवर बदल गये? इस पर हार्दिक ने कह दिया कि तेवर बदल गए हैं। तो सवाल है कि ये तेवर किन वजहों से बदले?

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क़मर वहीद नक़वी
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