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दिल्ली में आप के लिए बीजेपी से ज़्यादा बड़ा सिरदर्द कांग्रेस?

जिस कांग्रेस को अप्रासंगिक बताते हुए अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में साथ रखना मुनासिब नहीं समझा, वही अब आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गई लगती है। कहा जा रहा है कि कई सीटों पर आप को कांग्रेस से सीधी टक्कर मिल रही है और पूरी दिल्ली में कांग्रेस को मिलने वाले वोटों से आप के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। ख़ुद पार्टी के अंदर ही यह बात चल रही है। तो सवाल है कि आख़िर ऐसा क्या हो गया है कि आप के लिए कांग्रेस इतनी बड़ी परेशानी का सबब बन गयी?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुक़ाबला है। कांग्रेस और आप इंडिया गठबंधन के सहयोगी हैं, लेकिन इस चुनाव में दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बनने के कारण वे अलग-अलग चुनाव लड़ी रही हैं। केजरीवाल काफी पहले से ही कहते रहे थे कि वे दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने तो चुनाव से काफी पहले ही उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी। बाद में कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी और यह साफ़ हो गया कि दोनों दल एक दूसरे के ख़िलाफ़ चुनाव में उतरेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप लगातार तीसरी बार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हथियाने की कोशिश में है। कांग्रेस भी कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है और उसे उम्मीद है कि वह चौंकाने वाली जीत हासिल करेगी।

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चुनाव की घोषणा होने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता कांग्रेस को अप्रासंगिक बताते रहे हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि वह बीजेपी के साथ मिलीभगत करके चुनाव लड़ रही है। भले ही आप नेता ने कांग्रेस को अप्रासंगिक बताया है लेकिन यहाँ क़रीब 10 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ आप कांग्रेस के अभियान पर क़रीब से नज़र रख रही है। इसमें से कई सीटें तो ऐसी हैं जहाँ कांग्रेस सीधे टक्कर में है।

आप में इस बात की सुगबुगाहट है कि पार्टी के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर कांग्रेस उम्मीदवार दे रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि पार्टी को ओखला, चांदनी चौक और बादली सहित अन्य जगहों पर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है।

पूर्व कांग्रेस विधायक आसिफ अहमद खान की बेटी अरीबा खान ओखला से आप के अमानतुल्लाह खान के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रही हैं, जबकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल आप के पुनर्दीप सिंह साहनी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे हैं, जो चांदनी चौक से मौजूदा विधायक प्रहलाद सिंह साहनी के बेटे हैं। बादली से दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव आप के अजेश यादव के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे। अमानतुल्लाह खान और अजेश यादव मौजूदा विधायक हैं।
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अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमारे लिए चिंता यह नहीं है कि कांग्रेस सीट जीतेगी, बल्कि यह है कि इससे बीजेपी को अपनी स्थिति मज़बूत करने में मदद मिलेगी। 27 साल से दिल्ली विधानसभा में सत्ता से बाहर भाजपा के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण चुनाव है। कांग्रेस के वोट शेयर में वृद्धि से ही उन्हें मदद मिलेगी।'

आप को कांग्रेस से कितना बड़ा नुक़सान हो सकता है कि यह 2017 के एमसीडी चुनाव के नतीज़ों से भी साफ़ होता है। रिपोर्ट के अनुसार आप के अंदरूनी सूत्र ने कहा, '2017 के एमसीडी चुनावों में क्या हुआ, इसे देखें। आप ने दो साल पहले ही 54% के बड़े वोट शेयर के साथ विधानसभा चुनाव जीता था और कांग्रेस 10% पर सिमट गई थी। लेकिन कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव अच्छे से लड़ा। आप का वोट शेयर घटकर 26% रह गया, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 21% हो गया। बीजेपी ने सिर्फ़ 4 प्रतिशत अंक की बढ़त हासिल की, लेकिन उन चुनावों में जीत हासिल की।'

इस बार ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ सकता है। कुछ सर्वे रिपोर्टों में भी कहा गया है कि इस बार दलित वोट कांग्रेस की ओर शिफ्ट कर सकते हैं। ऐसा इस वजह से क्योंकि राहुल गांधी और कांग्रेस जातिगत जनगणना और आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

नैशनल कन्फ़डरेशन ऑफ़ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशन यानी नैकडोर और द कनवर्जेन्ट मीडिया यानी टीसीएम के सर्वे में कहा गया है कि 38 फीसदी दलित वोटर कांग्रेस को ऐसी पार्टी मानते हैं जो समस्याओं को हल करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के लिए ऐसा सोचने वाले 33 फ़ीसदी हैं तो आम आदमी पार्टी के लिए ऐसा सोचने वाले 18 फ़ीसदी हैं।

महिला वोटरों को समस्याएँ हल करने का भरोसा कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी पर है। बीजेपी के लिए 33 फीसदी और कांग्रेस के लिए 30 फीसदी महिलाएं ऐसा कहती नज़र आईं। आप के लिए 26 फीसदी महिलाओं ने कहा कि समस्याएं हल करने का भरोसा उन्हें आप पर है।

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दलित महिलाओं के बीच राहुल गांधी ने दिल्ली में पसंदीदा नेता के तौर पर लीड ले ली है। 33 फीसदी दलित महिलाएँ राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्तर पर पसंदीदा नेता मानती हैं तो 31 फीसदी नरेंद्र मोदी को। 30 फीसदी महिलाएं अरविन्द केजरीवाल को राष्ट्रीय पसंदीदा नेता मानती हैं।

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हालाँकि दिल्ली के ओवरऑल दलित वोटरों में राष्ट्रीय स्तर पर पसंद के नेता नरेंद्र मोदी हैं। सर्वेक्षण में 38 फीसदी दलित वोटरों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पसंदीदा नेता माना है। दिल्ली के दलित वोटरों में राहुल गांधी 33 फीसदी समर्थन लेकर राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे सबसे ज्यादा पसंदीदा नेता बने हुए हैं। दिल्ली में यह आंकड़ा कांग्रेस के लिए इसलिए सुखद है क्योंकि कांग्रेस का कोई सांसद या विधायक दिल्ली से नहीं है। दिल्ली के दलित वोटरों में अरविन्द केजरीवाल को राष्ट्रीय स्तर पर पसंदीदा नेता मानने वाले 18 फीसदी दलित वोटर हैं।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया।)
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क़मर वहीद नक़वी
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